किसी भी देश के संविधान की उद्देशिका उस देश का आईना होती है-जिला जज

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आजमगढ़ (सृष्टिमीडिया)। राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, लखनऊ के निर्देशानुसार संविधान की 73वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में जितेन्द्र कुमार सिंह, जनपद न्यायाधीश अध्यक्ष, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, की अध्यक्षता में हॉल ऑफ जस्टिस में भारतीय संविधान दिवस मनाया गया। संविधान दिवस के अवसर पर समस्त न्यायिक अधिकारीगण, कर्मचारीगण, पराविधिक स्वयं सेवकगण उपस्थित रहे।

जनपद न्यायाधीश जितेन्द्र कुमार सिंह द्वारा समस्त न्यायिक अधिकारीगण व कर्मचारीगण को भारतीय संविधान में निष्ठा रखने एवं संविधान का अनुपालन सुनिश्चित करने हेतु संविधान की उद्देशिका की शपथ दिलाया गया तथा मौलिक कर्तव्यों के बारे में बताया गया। जनपद न्यायाधीश ने बताया कि विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र के संविधान को आज ही के दिन अंगीकार किया गया था। भारतीय संविधान की सफलता का मूल आधार संविधान सभा में भारतीय समाज के हर छोटे बड़े वर्गों को प्रतिनिधित्व देने की कोशिश करना है। भारतीय संविधान देश के प्रत्येक नागरिक को मौलिक अधिकार प्रदान करता है, साथ ही उनके मूल कर्तव्यों की व्याख्या करता है। संविधान साधारणतया नियमों, कानूनों और विनियमों का एक ऐसा संग्रह है, जो किसी भी देश के प्रशासन का मार्गदर्शन करता है, जिसके द्वारा राजनीतिक प्रक्रियाओं, सिद्धातों और आमजन की भूमिका के लिए रूपरेखा और दिशा-निर्देश प्रदान किए जाते है। 26 नवम्बर, 1949 की तिथि भारतीय गणतंत्र के लिए ऐतिहासिक महत्व की है। डा. अम्बेडकर ने 25 नवम्बर, 1949 को संविधान सभा के अंतिम भाषण में कहा था कि ’संविधान चाहे जितना अच्छा हो यदि उसे संचालित करने वाले लोग बुरे हैं तो वह निश्चित बुरा हो जाता है और यदि उसे संचालित करने वाले लोग अच्छे हैं तो वह संविधान निश्चित अच्छा होता है।’ कार्यक्रम का संचालन करते हुए अभिनय सिंह प्रधान न्यायाधीश किशोर न्याय बोर्ड ने कहा कि किसी भी देश के संविधान की उद्देशिका उस देश का आईना होती है। भारतीय संविधान भारत के लोगों के लिए अपने आप में विशेष अधिकार समाहित किये हुए हैं और एकता एवं अखण्डता का अक्षुण्ण बनाने में भी पुरी तरह से सुदृढ़ है।
रिपोर्ट-प्रमोद यादव/ज्ञानेन्द्र कुमार

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