विधानसभा चुनाव में हार के बाद कसे जा रहे ‘पेंच’
लखनऊ (सृष्टि मीडिया)। बीते विधानसभा चुनावों के बाद विभिन्न राजनीतिक दिलों ने अपनी हार पर विमर्श करना शुरू कर दिया है। वहीं अबतक के सबसे खराब प्रदर्शन के बाद बसपा प्रमुख मायावती भी सक्रिय हो गई हैं और ऊपर से नीचे तक संगठन के पेंच कसे जा रहे हैं। बीते रविवार लखनऊ में मायावती ने बीएसपी की हार की समीक्षा के लिए बैठक बुलाई थी। इस बैठक में यह फैसला यह हुआ है कि बीएसपी में राज्य के चार महत्वपूर्ण समूहों को समान प्रतिनिधित्व दिया जाएगा। ये समूह हैं- दलित, ओबीसी, मुस्लिम और सवर्ण। दरअसल, अबतक बीएसपी की ओर से हर विधानसभा में एक समन्वयक यानी कोआॅर्डिनेटर नियुक्त किया जाता था। आमतौर पर यह जिम्मेदारी दलित नेताओं को मिलती थी। लेकिन अब मायावती ने प्लान बनाया है कि हर विधानसभा में चार नेताओं को जिम्मा दिया जाए। ये चारों नेता अलग-अलग वर्गों के होंगे।
महज 12.88 प्रतिशत मिले थे वोट
बतादें, विधानसभा चुनाव में बीएसपी को महज 12.88 फीसदी ही वोट मिले और सिर्फ एक सीट पर ही संतोष करना पड़ा। खुद मायावती ने माना की उनकी अपनी जाटव बिरादरी के अलावा अन्य वर्गों का समर्थन उन्हें नहीं मिल सका। ऐसे में उन्होंने अन्य समुदायों को भी लुभाने के लिए प्लानिंग तेज कर दी है। फिलहाल बसपा का पूरा फोकस 2024 के आम चुनाव में अच्छा प्रदर्शन करने पर है। एक सीनियर लीडर ने कहा कि अब तक हर विधानसभा में एक अध्यक्ष होता था और यह अनुसूचित जाति का ही होता था। अब इस लेवल पर चार नेता नियुक्त किए जाएंगे। मायावती ने जल्दी ही उनके पदनामों के ऐलान का फैसला लिया है। बताया कि ये चारों नेता अलग-अलग समुदायों के होंगे।
अपने समुदाय के लोगों को जोड़ने का करेंगे काम
उन्होंने कहा कि इन नेताओं को जिम्मेदारी दी जाएगी कि वे अपने समुदायों को पार्टी के साथ जोड़ने का काम करें। विधानसभा के लेवल पर इस तरह से काम किए जाने से फायदे की उम्मीद है। बीएसपी लीडर ने कहा कि नुक्कड़ सभाओं और रैलियों से ज्यादा जोर रहेगा कि ये नेता व्यक्तिगत तौर पर अपने समुदायों के बीच जाएं और उन्हें साथ लाने का काम करें। बता दें कि मायावती ने कड़े फैसले लेते हुए 18 जोनल कॉर्डिनेटर्स को हटा दिया है और तीन नए समन्वयक नियुक्त किए हैं। इन तीन नेताओं में दो दलित हैं, जबकि एक मुस्लिम लीडर है।
कोआर्डिनेटर्स की रिपोर्ट पर होगा विमर्श
बसपा प्रमुख ने कहा कि इन तीन कोआर्डिनेटर्स की रिपोर्ट के आधार पर हर विधानसभा में नेताओं की नियुक्ति की जाएगी। इसके अलावा भाईचारा कमेटियों की एक बार फिर से शुरूआत होगी। बता दें कि विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद मायावती ने कहा था कि यदि मुस्लिमों ने हमें वोट दिया होता तो फिर दलितों के अपने बेस वोट के साथ बीएसपी ही भाजपा को हरा सकती थी। मायावती ने अपनी हार के लिए उस प्रचार को भी जिम्मेदार ठहराया कि सभी मुस्लिम सपा का समर्थन कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि इसके चलते पोलराइजेशन हुआ और जाटवों के अलावा दलित समुदाय की कई बिरादरियों ने भाजपा को वोट दिया।