आजमगढ़ (सृष्टिमीडिया)। श्रीरामलीला समिति पुरानी कोतवाली के तत्वावधान में चल रही श्री रामलीला में सोमवार की रात कलाकारों ने लंका दहन और रामेश्वर स्थापना का मंचन किया। लंका दहन होते ही पूरा पंडाल श्रीराम के जयकारों से गूंज उठा।
श्रीरामलीला में मंचन के क्रम में कलाकारों ने लंका दहन में दर्शाया कि माता सीता का पता लगाने हनुमान जी सागर लांघ कर लंका पहुंचते हैं। वहां पहुंचने पर हनुमान जी को जोरों की भूख लगती है और वे लंका में एक वाटिका में पहुंच फल खाते हैं और पेड़ों को तहस-नहस कर देते हैं। इसकी सूचना मेघनाथ को जब मिलती है तो वह हनुमान जी को पकड़ऩे वहां पहुंचता है। दोनों के बीच युद्ध होता है। बाद में मेघनाथ हनुमान जी को बंदी बनाकर रावण के दरबार में ले जाते हैं। जहां रावण हनुमान जी की पूंछ में आग लगाने का आदेश दिया जाता है और हनुमान जी की पूंछ में आग लगते ही वे हवा में उड़ जाते हैं और लंका को आग के हवाले कर देते हैं। कलाकारों द्वारा लंका दहन के जीवंत मंचन ने लोगों का मनमोह लिया। इसके बाद कलाकारों ने रामेश्वर स्थापना का मंचन किया जाता है। जिसमें भगवान राम द्वारा समुद्र देव को मनाया जाता है। पुल निर्माण पूर्ण होने पर भगवान राम की वानर सेना लंका पहुंचती है। इस दौरान लगे श्रीराम के जयकारों से पूरा पंडाल गूंज उठा। संयोजक विभाष सिन्हा ने बताया कि बुधवार की रात को कलाकारों द्वारा अंगद-रावण संवाद, लक्ष्मण शक्ति का मंचन किया जाएगा।
रिपोर्ट-ज्ञानेन्द्र कुमार