रामकथा सुन भाव विभोर हुए श्रद्धालु

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अतरौलिया आजमगढ़ (सृष्टिमीडिया)। नव दुर्गा पूजा समिति द्वारा आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के आठवें दिन सुदामा चरित्र और राजा परीक्षित की कथा में सैकड़ों की संख्या में श्रोता पहुंचे।
क्षेत्र के गोरहरपुर में चल रहे नौ दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा के आठवें दिन भारी संख्या में स्रोता कथा स्थल पर पहुंचे जहां मां दुर्गा की आरती के साथ ही पंडित चंद्रेश दास जी महाराज द्वारा श्रीमद् भागवत व रामकथा का सुंदर वर्णन किया गया। कथा व्यास पं. पंडित चंद्रेश दास जी महाराज ने सुदामा चरित्र और राजा परीक्षित के मोक्ष की कथा सुनाकर लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया। कृष्ण और सुदामा के जीवन का वर्णन करते हुए पं. चंद्रेश दास जी महाराज ने बताया कि सुदामा जी भगवान श्री कृष्ण के परम मित्र थे। श्री कृष्ण से उनकी मित्रता ऋषि संदीपनी के गुरुकुल में शिक्षार्जन के समय हुई। सुदामा जी अपना व अपने परिवार का भरण पोषण ब्राह्मण रीति के अनुसार भिक्षा मांग कर करते थे। सुदामा इतने में ही संतुष्ट रहकर हरि भजन करते रहते थे। एक दिन वह अपनी पत्नी के कहने पर सहायता के लिए पांच घरों से मुट्ठी भर चावल फटे कपड़े में लेकर द्वारकाधीश श्री कृष्ण के पास गए। उनकी दशा देखकर तीनों लोकों के स्वामी के आंखों से आंसू आ गए। उन्होंने अपने मित्र सुदामा की कई दिनों तक सेवा करके उन्हें वहां से विदा कर दिया। जब सुदामा जी अपने नगर पहुंचे तो उन्होंने पाया कि उनकी टूटी-फूटी झोपड़ी के स्थान पर सुन्दर महल बना हुआ है पत्नी सुंदर गहनों से सजी हुई थी और अपनी पत्नी को भी नहीं पहचान सके। कथा व्यास ने राजा परीक्षित के मोक्ष पर भी विस्तार से प्रकाश डाला।
रिपोर्ट-आशीष निषाद

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