संत समिति के महामंत्री स्वामी जीतेन्द्रानन्द सरस्वती ने नरेंद्र मोदी और अमित शाह को दिया साधुवाद
वाराणसी (सृष्टि मीडिया)। ओवैसी, मियाजी और दक्षिणपंथी संगठन इस राष्ट्र के लिए कटते, मिटते, लड़ते रहे हैं। कभी उन्होंने देशद्रोह नहीं किया। इस राष्ट्र को कभी बंटने नहीं दिया। उक्त बातें अखिल भारतीय संत समिति के महामंत्री स्वामी जीतेन्द्रानन्द सरस्वती ने बुधवार को कही। उन्होंने पॉपुलर फ्रंट आफ इंडिया को बैन करने पर खुशी जताई। कहा कि संत समिति प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह को हार्दिक साधुवाद देती है। उन्होंने ओवैसी द्वारा दक्षिणपंथी पार्टियों पर बैन लगाने वाले बयान पर तीखी प्रतिक्रिया भी दी। उन्होंने ओवैसी को टूकड़े-टूकड़े गैंग का प्रवक्ता बताया है।
पीएफआई ने देश को पहुंचाया नुकसान
बतादें, जीतेन्द्रानन्द स्वामी ने कहा कि दक्षिणपंथी संगठनों ने हमेशा इस राष्ट्र को एक और अखंड रखने के लिए अपने प्राणों की बाजी लगाई है। तो क्या आप उस कटेगरी में आते हैं। आप तो टूकड़े-टूकड़े गैंग के प्रवक्ता हैं। आप जिन लोगों को बचाने की बात करते हैं, उन्होंने भारत को तोड़ा है। पीएफआई और उनसे जुड़े अन्य कई संगठनों दुनिया में किसी भी सीमा तक जाकर देश को नुकसान पहुंचाया है। भारत और भारत से परे जाकर पीएफआई ने देश का नुकसान किया है। पीएफआई के लोगों ने हर प्रकार के बौद्धिक और शारीरिक षडयंत्र तक किए हैं, जिसे माफ नहीं किया जा सकता। दूसरी तरफ, वाराणसी में बुधवार को आदमपुर के आलमपुरा और कच्चीबाग से पीएफआई के एक्टिव मेंबर पकड़े गए हैं। आलमपुरा निवासी मोहम्मद शाहिद और कच्चीबाग (जैतपुरा) निवासी रिजवान अहमद को कमिश्नरेट पुलिस ने तीन दिनों के लिए रिमांड पर लिया है। इसके बाद इस मामले में एटीएस और कोतवाली पुलिस ने चंदुपुरा और अनार की बाग इलाके से पीएफआई के दो संदिग्ध सदस्यों को पकड़ा।
पीएफआई पांच साल के लिए पाबंद
उधर, बुधवार को भारत सरकार ने आतंकी गतिविधियों में लिप्त पॉपुलर फ्रंट आफ इंडिया और उसके 8 सहयोगी संगठनों पर पांच साल के लिए पाबंदी लगा दी है। इसको लेकर देश भर में सियासत होने लगी है। एआईएमआईएम के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि पीएफआई की सोच का हम पहले से विरोध करते आए हैं, लेकिन इस पर प्रतिबंध लगाना अनुचित है। अपराध करने वाले कुछ लोगों की करतूतों का मतलब यह नहीं है कि पूरे संगठन को ही प्रतिबंधित कर दिया जाए। आखिरकार समाज में नफरत फैलाने वालीदक्षिणपंथी बहुसंख्यक संगठनों पर सरकार कब बैन लगाएगी। उन्हें क्यों संरक्षित किया जा रहा है।
रिपोर्ट : अमन विश्वकर्मा