115वें जन्मदिन पर याद किये गये भगत सिंह

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आजमगढ़ (सृष्टिमीडिया)। भगत सिंह के 115वें जन्मदिन पर राहुल चिल्ड्रेन इंगलिश मीडियम एकेडमी रैदोपुर के बच्चों द्वारा प्रभातफेरी निकाली गयी और सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
आलोक यादव कक्षा सात के छात्र भगत सिंह तू जिन्दा है हर एक लहू के कतरे में, सुनाया। इसी कड़ी में दिशा श्रीवास्तव ने भगत सिंह के संघर्षों पर प्रकाश डाला। कक्षा सात कीछात्रा शुचित्रा श्रीवास्तव ने मां मेरा रंग दे बसंती चोला गीत सुनाया। अंत में विद्यालय के वरिष्ठ अध्यापक एसडी यादव ने कहा कि आंसुओं की पी रहे हैं तो बस गम भी खाइए, सरकार को न गम की कहानी सुनाइए। इसलिए जाति धर्म पार्टी आदि से ऊपर उठकर अपने रोजीरोटी और हक हुकूक के लिए क्रांति की वीणा स्वयं बजाइए। इस तरह बात करने वाले संघर्ष और क्रांति के पर्याय शहीदे आजम भगत सिंह की जयंती तभी सार्थक होगीजब हमस ब उनके बताए गये रास्ते का अनुशरण करेंगे। उन्होंने बताया कि भगत सिंह 1921 में इंटर मीडिएट पास करके पढ़ाई छोड़ दिये और क्रांतिकारी दल से जुड़ गये। असेम्बली बम काण्ड में शामिल होने के कारण इन्हें जेल हो गया और फांसी की सजा भी सुना दी गयी। 23 मार्च 1931 को विजय गीत गाते हुए भगत सिंह, राजगुरू और सुखदेव फांसी के फंदे को चूमकर सदा के लिए अमर हो गये। विद्यालय की प्रधानाध्यापिका मीनू राय ने सभी का आभार व्यक्त किया। इस अवसर पर बृजेश यादव, सर्वजीत, राकेश यादव आदि उपस्थित रहे।
रिपोर्ट-प्रमोद कुमार यादव

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