फूलपुर आजमगढ़ (सृष्टिमीडिया)। लोकतंत्र में तारीख तो जनता तय करती है और कुछ इसी तरह की स्थिति बन गई दुर्वासा धाम मेले की। ग्रामीणों का उत्साह देख दुकानदार चौथे दिन भी मेला क्षेत्र में दुकान लगाए रहे और लोगों की भीड़ पहुंचती रही। इस प्रकार तीन दिवसीय मेला चार दिवसीय हो गया। हालांकि, यह बताने वाला कोई जिम्मेदार नहीं मिला कि आखिर चौथे दिन की इजाजत किसके स्तर से दी गई। मेले में भीड़ को देखते हुए कोतवाली पुलिस को अतिरिक्त ड्यूटी जरूर निभानी पड़ी। ऐसा पहली बार हुआ है जब मेला तीन दिन की जगह पर चौथे दिन भी लगा।
महर्षि दुर्वासा की तपोस्थली दुर्वासा धाम पर कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर तीन दिवसीय मेले का आयोजन किया जाता है। पहले दिन बटोर, दूसरे दिन नहान और तीसरे दिन स्थानीय मेला लगता है। इस साल 14 नवंबर को बटोर, 15 नवंबर को नहान और 16 नवंबर को स्थानीय मेला लगा। उसके बाद अस्थाई दुकानदारों और मनोरंजन के साधन लेकर पहुंचने वालों को चले जाना चाहिए था, लेकिन भीड़ का उत्साह कहें या कुछ और िकवह नहीं गए। फिलहाल पहली बार चौथे दिन यानी रविवार को भी दुर्वासा धाम पर मेला लगा। प्रदेश के अन्य जनपदों से खजला, झूला, सौंदर्य प्रशाधन सहित खेती गृहस्थी के सामानों की दुकान लगी रहीं।
अतिरिक्त मेले का समय किसके आदेश पर बढ़ गया, झूला वालों का परमिशन कितने दिन का है आदि सवालों का जवाब किसी जिम्मेदार ने नहीं दिया। इस संबंध में उपजिलाधिकारी निजामाबाद अतुल गुप्ता से बात करने की कोशिश की गई तो फोन रिसीव नहीं हुआ। तहसीलदार निजामाबाद केशव प्रसाद से बात करने पर जवाब मिला कि अनुमति उपजिलाधिकारी देते हैं। बाकी कुछ मेरे सज्ञान में नहीं है।
रिपोर्ट-मुन्ना पाण्डेय