आजमगढ़ (सृष्टिमीडिया)। विभिन्न माध्यमों से यह संज्ञान में आया है कि महाविद्यालय में की जा रही नियुक्तियों के विरुद्ध कुछ लोग लामबन्द होकर महाविद्यालय प्रशासन एवं प्राचार्य के खिलाफ दुष्प्रचार कर रहे हैं। शिब्ली नेशनल कॉलेज जनपद का एक प्राचीन एवं अत्यन्त प्रतिष्ठित शिक्षण संस्थान है। कुछ असामाजिक तत्वों को इस महाविद्यालय से इसकी प्रतिष्ठा से सदैव चिता होती रही है। इन्ही असामाजिक तत्वों द्वारा सोशल मीडिया व अन्य माध्यमों के द्वारा भ्रामक खबरों एवं मनगढ़त आरोपों के आधार पर नियुक्ति को गलत कहकर प्रस्तुत किया जा रहा है, जो कि सरासर नैतिकता एवं न्याय के विरुद्ध है। ऐसी मनगढंत खबरें समाज में व्यक्ति विशेष तथा प्रतिष्ठित संस्था की छवि धूमिल करने के प्रयास में प्रसारित की जा रही है उक्त बाते शिब्ली नेशनल महाविद्यालय के प्राचार्य अफसर अली ने प्रेस वार्ता के दौरान कही।
पत्र प्रतिनिधियों से वार्ता में प्राचार्य ने कहा कि महाविद्यालय के विभिन्न विभागों में सहायक प्रवक्ता के कई पद रिक्त थे जिसके कारण पठन-पाठन के कार्य में अत्यंत समस्याओं का सामना करना पड़ रहा था। अतः छात्रहित को दृष्टिगत रखते हुए वर्तमान प्रबन्ध समिति ने उक्त रिक्त पदों पर नियुक्तियों हेतु क्षेत्रीय उच्च शिक्षा अधिकारी, वाराणसी तथा शिक्षा निदेशक (उ०शि०), प्रयागराज के साथ समन्वय स्थापित कर नियुक्ति की कार्यवाही आरम्भ की गई तथा नियुक्ति करने हेतु अनुज्ञा प्राप्त करने के पश्चात अग्रिम कार्यवाही करते हुए विज्ञापन के माध्यम से आवेदन मांगे गये। उक्त आवेदकों को साक्षात्कार हेतु आमन्त्रित किया गया। साक्षात्कार चयन समिति द्वारा किया जाता जो उत्तर प्रदेश राज्य विश्वविद्यालय अधिनियम, 1973 के प्राविधानों के अनुसार विश्वदिद्यालय की कार्य परिषद से अनुमोदित विषय विशेषज्ञों को मिलाकर गठित होती है। साक्षात्कार में अभ्यर्थी के अकादमिक रिकॉर्ड, सम्बन्धित विषय में ज्ञान व पाठन की कुशलता इत्यादि के परीक्षणोपरान्त इसी चयन समिति द्वारा चयन की सस्तुति की जाती है. जिसे प्रबन्ध समिति की बैठक में अनुशसा के उपरान्त विश्वविद्यालय को अनुमोदनार्थ अग्रसारित किया जाता है। महाविद्यालय में जारी नियुक्ति प्रक्रिया में उक्त उत्तर प्रदेश राज्य विश्वविद्यालय अधिनियम, 1973 के प्राविधानों का अक्षरशः पालन किया गया है, परन्तु कुछ लोग अज्ञानता व पूर्वाग्रह के कारण महाविद्यालय में हो रही नियुक्ति को किसी भी कीमत पर नहीं होने देना चाह रहे है। शासन, प्रशासन एवं अन्य माध्यमों से निराधार शिकायते एवं अनर्गल आरोप लगाये जा रहे है।
रिपोर्ट-प्रमोद यादव/ज्ञानेन्द्र कुमार