अतरौलिया आजमगढ़ (सृष्टिमीडिया)। जनपद में रक्षा बंधन का पर्व धूम-धाम से मनाया गया। बहनों ने भाई की कलाई पर रक्षा सूत्र बांधकर रक्षा करने का संकल्प दिलाया।
रक्षाबंधन का त्योहार क्षेत्र में बड़े ही धूमधाम से मनाया गया। बहनों ने भाइयों के कलाई पर रक्षासूत्र बांधकर रक्षा का संकल्प दिलाया। इस बार रक्षाबंधन का त्योहार बुधवार को भद्रा होने से कारण बुधवार देर रात तथा गुरूवार की सुबह मनाया। सुबह लोगों ने स्नान आदि के बाद तैयार होकर बहनों से कलाई पर राखी बंधवाई। राखी बांधने से पहले बहनों ने भाइयों का मुंह मीठा किया और तिलक लगाया। भाइयों ने बहनों की रक्षा का संकल्प लिया।
रानीकीसराय प्रतिनिधि के अनुसार रक्षाबंधन पर्व पर जहां मिठाई की दुकानों पर भीड उमड़ी वहीं मिलावटी मिठाइयों का खामियाजा लोगों को भुगतना पडा। प्रशासन के रोक के दावे के बीच दुकानदार मिलावटी मिठाई बेचने मंे कामयाब रहे। रक्षाबंधन पर्व पर खासतौर से मिठाई की डिमांड बढ जाती है। कस्बा समेत आस पास ऊंचीगोदाम, शाहखजुरा, शहीदवारा आदि ग्रामीण बाजारों में मिठाई की खूब दुकाने सजी रही। पर्व दो दिन के चक्कर में दो दिन दुकानों पर खरीदारों की भीड़ रही। हालात ये रहे कि लग्जरी वाहनो से डिब्बा बंद मिठाई बिक्री वाले भी खूब सक्रिय रहे। ज्यादातर दुकानों पर वही डिब्बा बंद मिलावटी मिठाइयां ही सजी रही। कीमत कम होने से खरीददार इसे ही लेते रहे। परंतु दूसरे ही दिन घरों में लोगों को मिलावटी होने का अहसास हो गया। सस्ते दर के चक्कर मंे स्वास्थ्य से खिलवाड़ होता रहा। क्षेत्र के अजय सिंह, रमेशचंद्र, विजय कुमार आदि ने कहा कि दूसरे ही दिन मिठाई से गंध आने से परेशानी झेलनी पड़ी। प्रशासन द्वारा मिलावटखोरों पर कार्रवाई का दावा किया जाता है फिर भी मिलावटखोर कामयाब रहे।
लालगंज प्रतिनिधि के अनुसार भाई बहन के अटूट संबंधों का पर्व रक्षाबंधन उल्लास पूर्वक मनाया गया। बहन ने भाई की कलाई पर रक्षासूत्र बांध कर अपनी रक्षा तथा सहयोग का आश्वासन लिया। तो वहीं भाइयों ने उन्हें रक्षा और सहयोग करने का वचन दिया। ओमप्रकाश सिंह बताते हैं कि पौराणिक कथाओं के अनुसार रक्षाबंधन पर्व का संबंध भगवान श्री कृष्ण और द्रौपदी से है। गलती से चक्र सुदर्शन से भगवान श्री कृष्ण की अंगुली कट गई, तो दौपदी ने अपनी साड़ी फाड़ कर भगवान श्री कृष्ण की अंगुली को बांध दिया। भगवान श्री कृष्ण द्रौपदी से प्रसन्न होकर रक्षा का वचन दिए। उन्होंने अपना यह वचन द्रौपदी की चीर हरण के समय रक्षा करके पूरा किया था। दूसरी कथा इंद्र और उनकी पत्नी शची से संबंधित है। देवासुर संग्राम में इंद्र असुरों से पराजित हो रहे थे। उनकी पत्नी शची ने तप व पूजन के पश्चात देवराज इंद्र के हाथों में रक्षा सूत्र बांध कर अभय प्रदान किया था। जिसके परिणाम स्वरुप देवासुर संग्राम में इंद्र को विजय प्राप्त हुई थी। शची ने रक्षाबंधन के दिन उनके हाथों में रक्षा सूत्र बांधा था। तभी से रक्षाबंधन का पर्व मनाने की परम्परा शुरू हुई। छोटे बच्चों में समृद्धि सिंह ने अयांश सिंह व शिवान्या सिंह ने शाश्वत उर्फ देव सिंह को रक्षा सूत्र बांध कर एक दूसरे को मिठाई खिलाई।
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रक्षाबंधन शुभ मुहूर्त को लेकर रहा असमंजस
अतरौलिया (आजमगढ़)। रक्षाबंधन का पर्व 30 अगस्त को रात 9 बजकर 3 मिनट के बाद राखी बांधी जा सकती है। वहीं 31 अगस्त को सुबह 7 बजकर 7 मिनट से पहले राखी बांधी गयी। यह त्योहार प्यार और खुशी के साथ मनाया जाता है, जब हर बहन अपने भाई को सही समय पर राखी बांधना चाहती है। कुछ पुजारियों के अनुसार, दो तिथियों को लेकर भ्रम ‘भद्र काल’ के कारण रहा, जिसके दौरान कोई भी शुभ अनुष्ठान नहीं किया जाना चाहिए। मान्यता यह भी है कि भद्रा काल में शुभ कार्य करने से हानि होती है फिर भी समयाभाव के कारण लोगों ने राखी बांधकर परंपरा का निर्वहन किया। राखी की दुकान पर भीड़ रही तो मिष्ठान और कपड़े की दुकान पर सुबह से ही काफी भीड़ दिखी। वहीं आभूषण की दुकानों पर भी महिलाओं की अच्छी खासी भीड़ रही। रक्षाबंधन का त्यौहार बड़े ही सौहार्द पूर्वक पूरे क्षेत्र में मनाया गया।