पवई आजमगढ़ (सृष्टिमीडिया)। बाबा भुवनेश्वर धाम बिलवाई मंदिर परिसर में चल रहे श्री राम कथा के अंतिम दिन कथावाचक संतोष जी महाराज ने हनुमत चरित्र की कथा सुनाई। उन्होंने कहा कि भक्ति का क्षेत्र स्वतंत्र होता है। परंतु भक्ति की प्राप्ति सत्संग के ही द्वारा हो सकती है। सीता भगवान की भक्ति हैं। हनुमान जी महाराज भगवान को तो प्राप्त कर चुके थे। परंतु भगवान की भक्ति को नहीं प्राप्त कर पाए थे।
उन्होंने कहा कि भक्त के जीवन में भगवान की कृपा भक्ति के बिना अधूरी होती है। लंकिनी जैसी राक्षसी के भीतर के आसुरी तत्व को बाहर निकाल कर उसके भीतर की सात्विक वृत्तियों को जागृत कर हनुमान जी मार्ग में आई हुई विघ्न बाधाओं से लड़ते हुए लंका जैसे देश में लंकिनी को सत्संग की सीढ़ी बनाकर भगवान की भक्ति रूपी सीता को प्राप्त कर लेते हैं और अजर अमर होने का वरदान प्राप्त कर लेते हैं। श्रद्धालुओं ने श्रीरामचरित मानस पोथी पर पुष्प समर्पित करते हुए अपने जीवन की बुराइयों का दान किया। संयोजक दिलीप मोदनवाल के साथ कई लोगों ने बच्चों के विवाह में दहेज न लेने का संकल्प लिया। दुर्गेश राधे रमण मिश्र ने कथा व्यास को अंग वस्त्र प्रदान कर भावभीनी विदाई दी। इस अवसर पर मनोज सिंह, आत्मा सिंह, बिजय दुबे, अच्छेलाल यादव, विनय कुमार सिंह, मंजू मिश्रा, पिंटू प्रधान, रंजीत, जितेंद्र तिवारी, पंकज गिरी, अशोक गिरी, फूलचंद्र सिंह, हरिबंश दुबे, कतावरु बिन्द आदि उपस्थित रहे।
रिपोर्ट-नरसिंह