जनसंख्या नियंत्रण कानून पर शीर्ष कोर्ट करेगी सुनवाई
वाराणसी (सृष्टि मीडिया)। जनसंख्या नियंत्रण कानून न बनाने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने गृह मंत्रालय, कानून मंत्रालय और महिला एवं बाल विकास मंत्रालय को नोटिस जारी किया है। वाराणसी के अखिल भारतीय संत समिति के राष्ट्रीय महामंत्री स्वामी जीतेंद्रानंद सरस्वती की जनहित याचिका पर अब अगले महीने सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी। सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय यह केस देख रहे हैं। इस मामले को लेकर एक पत्र उन्होंने भी डाला था, जिसे जीतेंद्रानंद के साथ ही अटैच कर दिया था। स्वामी जीतेंद्रानंद ने कहा कि क्या भारत का संविधान केवल बहुसंख्यकों के मानने के लिए है?
बेरोजगारी और अशिक्षा पर भी बोले संत समिति के राष्ट्रीय महामंत्री
स्वामी जीतेंद्रानंद ने कहा कि सीमित संसाधन और असीमित जनसख्यां और संसाधनों का पहला हक तथाकथित अल्पसंख्यकों का है। ये कुछ ऐसे प्रश्न हैं जो भारत में बेरोजगारी और अशिक्षा के मूल कारणों में शुमार हैं। सुप्रीम कोर्ट को मैं धन्यवाद देता हूं कि हमारे मुकदमे में उन्होंने केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है। सरकार से पूछा कि भारत की जनसंख्या नीति क्या है? क्या भारत का संविधान केवल बहुसंख्यक वर्ग के मानने के लिए है? अथवा यह देश के प्रत्येक नागरिक पर लागू होता है? स्वामी जीतेंद्रानंद ने कहा कि जनसंख्या नीति और इस पर कंट्रोल के लिए कठोर कानून आज समय की जरूरत है। क्योंकि, इसके बिना मुझे नहीं लगता देश विकास नहीं कर सकेगा। स्वामी जीतेंद्रानंद स्वामी के अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय ने कहा कि भारत की 50% समस्याओं का मूल कारण जनसंख्या है। जितनी भी समस्याएं हैं उन सबके पीछे यही वजह है। संविधान में लिखा गया है कि देश में जनसंख्या नियंत्रण के लिए कानून होना चाहिए। मगर, सरकारों ने आज तक बनाया नहीं। सुप्रीम कोर्ट सरकार को आदेश दे कि वह जनसंख्या नियंत्रण कानून बनाए। सुनवाई के लिए डेट तय कर दी गई है। अब भी यह नहीं बना तो भारत में पानी और जमीन के लिए सिविल वार छिड़ जाएगा। ऐसा समय जल्द आएगा कि न रहने के लिए मकान हो और न ही पीने वाला पानी।
रिपोर्ट : अमन विश्वकर्मा