अतरौलिया आजमगढ़ (सृष्टिमीडिया)। रमजान मुबारक इस्लामी साल का 9वां महीना है। इस माह में कोरआन का नजूल हुआ। यह बहुत ही बाबरकत और पवित्र महीना है। जो ईमान की वजह से और सवाब की नीयत से रमजान का रोजा रखेगा उसके अगले गुनाह बख्श दिए जाते हैं। उक्त बातें मौलाना मोहम्मद अब्दुल बारी नईमी आजमी पेश इमाम जामा मस्जिद अतरौलिया ने कही।
उन्होंने कहा कि इस महीने की विशेष इबादत दिन का रोजा और रात की नमाजे तरावीह है। जिस तरह दिन का रोजा रखने में सवाब है यूं ही रात की नमाज तरावीह पढ़ने में भी सवाब है। रोजा से बहुत कुछ जिस्मानी, रूहानी और एखलाकी फायदे भी मिलते हैं जैसे बुराई की तरफ उसका मैलान कमजोर पड़ जाता है। रोजेदार शरअन हराम चीजों से बचता है। रोजा घमंड को तोड़कर आजजी और इनकेसारी पैदा करता है, रोजा जिस तरह गुनाहों से बचाता है, वैसे ही शारीरिक बीमारियों से भी बचाता है। रोजा एक महीने का अल्लाह की तरफ से तरबीयत और ट्रेनिंग का एक ऐसा कोर्स है, जिसके जरिए रोजेदार अपने आप को साल के 11 महीने गुनाहों से बचाकर अपने रब का फरमाबरदार बंदा बन सकता है। रोजा छोटों के साथ शफकत और बड़ों का आदर करना सिखाता है। रोजा मानवता और इंसानियत का दर्स देता है। झूठ गीबत, चुगलखोरी, झगड़ा, फसाद, चोरी, डकैती से दूर रखने का सलीका सिखाता है। जो रोजा की हालत में झूठ बोलना और झूठ पर अमल करना न छोड़े, उसका रोजा रखना बेकार है। रोजा बुराई और बुरे कामों के रास्ते से इंसान को दूर करने का बेहतरीन नुस्खा है।
रिपोर्ट-आशीष निषाद