नदियां भारत की जीवन रेखा व संस्कृति हैं

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आजमगढ़ (सृष्टिमीडिया)। आजमगढ़ महोत्सव के अंतर्गत लोक दायित्व द्वारा विश्व नदी दिवस के अवसर पर ‘स्वस्थ नदियां, स्वस्थ समाज‘ विषयक राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इस संगोष्ठी में श्रीप्रकाश गुप्ता, विशेष सचिव राज्यपाल उत्तर प्रदेश, मंजीत ठाकुर नदी विशेषज्ञ, डॉ. ध्रुवसेन सिंह विभागाध्यक्ष भूविज्ञान विभाग लखनऊ विवि, सतेंद्र प्रान्त संगठन मंत्री, जिला विकास अधिकारी, डीएफओ, डायट प्राचार्य अमरनाथ रॉय, जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी एवं लोक दायित्व के संयोजक पवन कुमार ने आजमगढ़ की नदियों का जल घड़े में भरकर कार्यक्रम की शुरुआत की।

विशेष सचिव श्रीप्रकाश गुप्त ने कहा कि हमारा देश गांवों का देश है, इसमें नदियों को माँ माना गया है। गांव की परंपरा में कचड़ा नदियों में नहीं डाला जाता। गांव के जल तीर्थ स्वस्थ हैं इसलिए गांव शहरों की अपेक्षा स्वस्थ है।

नदी विशेषज्ञ मंजीत ठाकुर ने कहा कि कोई संस्था कोई सरकार, कोई व्यवस्था नदी को साफ नहीं कर सकती जब तक कि आम आदमी उसके लिए नहीं लगेगा।
मुख्य वक्ता डॉ ध्रुवसेन सिंह ने अपने वक्तव्य में कहा कि नदियां भारत की जीवन रेखा हैं, भारत की संस्कृति हैं, भारत की आत्मा हैं। जो नदियां हजारों साल से सबकी जीवन रेखा रहीं वह आज अपने जीवन के लिए हमारे और आपकी तरफ देख रही हैं।

कार्यक्रम संयोजक पवन कुमार ने विषय रखते हुए कहा कि नदियां राष्ट्रपुरुष की धमनियां और शिराएं हैं। यदि प्रदूषण से यह जाम हुईं तो हृदय रुक जाएगा। कार्यक्रम की अध्यक्षता डायट प्राचार्य अमरनाथ राय द्वारा किया गया। कार्यक्रम का संचालन अरविंद सिंह ने किया। सहयोगी अजय, विजय, विवेक, कृष्णपाल, जयसिंह, अलंकार, त्रिपुरारी, अभिमत, गौरव, उत्कर्ष आदि ने कार्यक्रम को सफल बनाने में अपना योगदान दिया।
रिपोर्ट-प्रमोद यादव

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