आजमगढ़ (सृष्टिमीडिया)। जिले में भले ही हल्की बारिश हुई हो, लेकिन उसकी निरंतरता के कारण धान की फसल लहलहाती दिखने लगी है। ऐसे में अब उसमें यूरिया की जरूरत भी आ पड़ी है, मगर जो यूरिया किसान इस्तेमाल कर रहे हैं वह असली है या नहीं, इसकी जानकारी किसानों को अक्सर नहीं हो पाती। यूरिया को पानी में डालने के बाद अगर उसका घोल छूने पर ठंडा लगे तो समझिए यूरिया असली है। यही नहीं गुणवत्ता की पहचान गर्म तवे से भी की जा सकती है। गर्म तवे पर यूरिया के दाने अगर पिघल जाएं तो समझिए कि वह असली है, अगर न पिघलें तो वह यूरिया नकली है।
कृषि विज्ञान केंद्र लेदौरा के अध्यक्ष डा. एलसी वर्मा ने खेती में उपयोग किए जाने वाले सभी प्रकार के रसायनों के बारे में जानकारी दी है। कहा कि जागरूकता ही उन्नत कृषि का आधार है। आधुनिक तकनीक, सतर्कता एवं समयबद्धता अपनाकर किसान अपनी आय को दोगुनी कर सकते हैं। इस समय धान की फसल में रासायनिक उर्वरकों की जरूरत है, लेकिन इसकी सही और गलत की पहचान जरूरी है। सही की पहचान करके खेती को कम लागत से बेहतर किया जा सकता है। इससे भरपूर उत्पादन के साथ ही मृदा, पर्यावरण एवं मानव स्वास्थ्य का संरक्षण किया जा सकता है।
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ऐसे करें यूरिया की पहचान
आजमगढ़। असली यूरिया के दाने सफेद एवं चमकदार व समान होते हैं। इसकी पहचान के लिए पानी में डालकर परीक्षण किया जा सकता है। पानी में डालने पर यह पूरी तरह घुल जाते हैं। उसके घोल को छूने पर ठंडा लगे तो समझ लेना चाहिए कि यूरिया असली है। इसके अलावा तवे पर गर्म करने से दाने पिघल जाएं तथा तेज आंच करने पर अवशेष न बचें, तो समझिए यूरिया सौ फीसद सही है।
रिपोर्ट-सुबास लाल