फूलपुर आजमगढ़ (सृष्टिमीडिया)। कार्तिक पूर्णिमा के अवसर ऋषि दुर्वासा की तपोस्थली पर लगने वाले तीन दिवसी मेले के आखिरी दिन क्षेत्रीय ग्रामीणों का जमावड़ा रहा। पुरुषों ने हाथा टेकुरी सील बट्टा सहित खेती किसानी से लेकर जरूरी सामानों की जमकर खरीददारी की। वहीं महिलाओं ने सौंदर्य प्रसाधन की खरीददारी की।
प्रत्येक वर्ष कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर फूलपुर से लगभग सात किलो मीटर दूर स्थित महर्षि दुर्वासा ऋषि की तपोस्थली स्थित तमसा मंजूसा के संगम पर स्नान कर शिव मंदिर में जल चढ़ाया जाता है जो निज़ामाबाद तहसील के दुर्वासा गांव में स्थित है। वहीं ऋषि दुर्वासा की तपोस्थली फूलपुर तहसील क्षेत्र के बनहर मय चक गजड़ी गांव में स्थित है। लोगो की मान्यता है कि दुर्वासा बाबा तपोस्थली से संगम पर स्नान कर भगवान शिव की आराधना करने प्रति दिन जाते थे। इसलिए दुर्वासा गांव की मान्यता बढ़ गई। पहले शिव की पूजा फिर बाबा की पूजा होती है। वैसे प्रथम दिन दूर दराज गावो जिले से कार्तिक पूर्णिमा पर स्नार्थी एक दिन पहले आते है। दूसरे दिन स्नान कर बाबा का दर्शन करते हैं वहीं आखिरी दिन दुर्वासा क्षेत्र के अगल बगल के ग्रामीण पुरुष महिला बच्चे मेले का आनंद उठाते है और जमकर खरीददारी करते हैं। ऋषि दुर्वासा की तपोस्थली स्थित मेले में स्थानीय लोग जमे रहे। विभिन्न प्रकार के झूले पर भीड़ रही तो सौंदर्य प्रसाधन विक्रेता गली में भीड़ भाड़ रही। खझला की दुकान सहित अन्य दुकानों पर भीड़ रही। किसान खासकर खेती किसानी के उपयोग में आने बाले सामान खरीदने में मस्त रहे। मेले में धूल मिट्टी उड़ते रहे लोकनिर्माण विभाग मेले से पुर्व फूलपुर से दुर्वासा जाने वाली सड़क की मरम्मत नहीं करा सके। पुलिस प्रशासन चौकस सतर्क रहा।
रिपोर्ट-मुन्ना पाण्डेय