आज़मगढ़। चिल्ड्रेन कॉलेज एंड स्कूल के सभागार में भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद नई दिल्ली के सौजन्य से उत्तर भारत दर्शन परिषद के 37वें वार्षिक अधिवेशन का आयोजन किया गया। उत्तर भारत दर्शन परिषद के अध्यक्ष प्रो.सभाजीत मिश्र ने कहा कि पूरी दुनिया में दार्शनिक चिंतन व अनुसंधान को देश व प्रदेश में आगे बढ़ाना परिषद का मुख्य उद्देश्य है। जिस भारतीय दर्शन को पाश्चात्य देशों के लोग धर्म समझते थे, आज उसी भारतीय दर्शन का पूरी दुनिया में अनुकरण हो रहा है।
उत्तर भारत दर्शन परिषद के अध्यक्ष प्रोफेसर सभाजित मिश्र ने कहा कि पिछले 50 सालों में भारतीय दर्शन का प्रभाव पाश्चात्य देशों में बढा है। इसका एक बड़ा कारण है कि अब सब लोग एक दूसरे स्थानों पर आने-जाने लगे हैं। लोग एक दूसरे को समझने लगे। भारतीय दर्शन में उच्च कोटि का चिंतन नहीं था। विभिन्न विषयों पर पश्चिम के विचारकों ने लिखा है और विचार किया है लेकिन भारतीय दर्शन और पाश्चात्य दर्शन में एक मूलभूत भेद है।
उन्होंने कहा कि भारतीय दर्शन ऐसा मार्ग बताता है कि जिससे हम आगे चलकर अपने लक्ष्य को प्राप्त कर सकें। इसी के चलते भारतीय दर्शन की प्रतिष्ठा विदेशों में बहुत बढ़ गई है। तीन दिवसीय वार्षिक अधिवेशन के पहले दिन प्रथम सत्र की सरस्वती वंदना और दीप प्रज्वलन कर कार्यक्रम प्रारम्भ हुआ। इसके बाद देश के विभिन्न स्थानों से आए अतिथियों में मुख्य अतिथि कर्नाटक सरकार के पूर्व मुख्य सचिव व दर्शनशास्त्र के जानकार केपी पांडेय, भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद के सदस्य व परिषद के सचिव प्रोफ़ेसर सच्चिदानंद मिश्र के अलावा प्रो. हरिशंकर इलाहाबाद विश्वविद्यालय के सेवानिवृत्त प्रो.डीएन द्विवेदी, डॉ.रजनीश पांडेय, प्रो.जटाशंकर तिवारी, मंत्री प्रो.नितीश दुबे, प्रो.सभाजीत, प्रो.ऋषि कांत, डॉ.प्रशांत शुक्ला, डॉ.संजय शुक्ला का आयोजकों वरिष्ठ अधिवक्ता रविंद्र नाथ त्रिपाठी व कालेज के प्रबंधक डॉ.कृष्ण मोहन त्रिपाठी सहित कई सदस्यों ने माल्यार्पण व अंगवस्त्रम देकर उनका स्वागत किया। इस मौके पर परिषद में किए गए अमूल्य योगदान व सराहनीय कार्य के लिए प्रोफ़ेसर सभाजीत मिश्र को व शिक्षा के क्षेत्र में तथा सामाजिक क्षेत्रों में सराहनीय कार्य के लिए कालेज के प्रोफेसर बजरंग त्रिपाठी को प्रशस्ति पत्र देकर सम्मान किया गया। इस उद्घाटन समारोह में परिषद के संस्थापक प्रोफेसर सभाजीत मिश्र को समर्पित ’रेनबो ऑफ क्लासिकल आइडिया’ पुस्तक का विमोचन किया गया। कार्यक्रम का संचालन डॉ.स्वाति सक्सेना एवं डॉ.स्नेहलता पाठक ने किया।