शिव-शक्ति के विवाहोत्सव का साक्षी बनने के लिए उमड़ पड़ी काशी

शेयर करे

महादेव और माँ पार्वती के विवाह की रस्मों को निभाया गया

वाराणसी (सृष्टि मीडिया)। काशीपुराधिपति के सिर मउरा सजा तो लाल लहंगे में गौरा को भी भक्तों ने सजाया। अप्रतिम युगल छवि की सुंदरता और शिव-शक्ति के विवाहोत्सव का साक्षी बनने के लिए काशी उमड़ पड़ी। काशी विश्वनाथ मंदिर से लेकर टेढ़ीनीम स्थित पूर्व महंत आवास पर चार प्रहर की आरती की परंपरा के साथ भोर में महादेव और मां पार्वती के विवाह की रस्मों को निभाया गया। काशी विश्वनाथ मंदिर के स्वर्णमंडित मंडप में औघड़दानी त्रिपुरारी शिव शक्ति स्वरूपा मां गौरा के साथ विवाह के बंधन में बंध गए। शनिवार को साढ़े तीन सौ वर्षों से चली आ रही लोकपरंपरा के अनुसार टेढ़ीनीम स्थित आवास पर पूर्व महंत डॉ. कुलपति तिवारी के निर्देशन में बाबा व गौरा की प्रतिमा का रुद्राभिषेक हुआ। पं. वाचस्पति तिवारी ने सपत्नीक अनुष्ठान संपन्न कराया।

तीन मार्च को गौना की रस्म

दोपहर में फलाहार का भोग लगाया गया। भोग आरती के बाद संजीवरत्न मिश्र ने बाबा और मां गौरा की चल प्रतिमा का राजसी शृंगार कर विशेष आरती उतारी। शाम को मंगल गीतों के साथ परंपरा की शुरूआत हुई। बाबा विश्वनाथ की रजत प्रतिमाओं के साथ सभी प्रतिमाओं को महाशिवरात्रि पर पूजन के बाद महेंद्र प्रसन्ना ने शहनाई की मंगल ध्वनि पेश की। रात्रि में मंदिर में चारों प्रहर की विशेष आरती पं. शशिभूषण त्रिपाठी गुड्डू महाराज ने संपन्न कराई। मंदिर से लेकर टेढ़ीनीम तक चारों प्रहर की आरती का दीपक लाने और ले जाने का सिलसिला भी चलता रहा। पूर्व महंत के आवास पर दोपहर में मातृका पूजन से लेकर विवाह तक की परंपरा का निर्वाह हुआ। ब्राह्मणों ने मंत्रोच्चार के बीच सभी देवी देवताओं से शिव विवाह में शामिल होने का अनुरोध किया। भोर में पांच बजे विवाह की प्रक्रिया पूरी हुई। तीन मार्च को रंगभरी (अमला) एकादशी पर माता के गौना की रस्म निभाई जाएगी।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *