आजमगढ़ (सृष्टिमीडिया)। मार्टिनगंज तहसील के सुरहन गांव निवासी फिरतू पुत्र स्व.रामप्रसाद को सरकारी अभिलेखों में 1988 में ही मृत घोषित कर दिया गया और उसके नाम की जमीन को उसके पिता का वारिस बनकर एक ऐसे व्यक्ति ने अपने नाम करा लिया जिससे इस परिवार का कोई संबंध नहीं था, और न ही उसे कोई जानता था। सारा खेल चकबंदी कार्यालय और तहसील से हुआ। पीड़ित को इसकी जानकारी वर्ष 2019 में हुई।
पीड़ित ने राजस्व विभाग में जब पता लगाया तो देखा कि वह राजस्व अभिलेखों में कई वर्षों से मृत चल रहा है। बुजुर्ग होने के चलते पीड़ित को कम सुनाई भी देता है, पढ़ा लिखा न होने के चलते भी काफी दिक्कतें हैं। अपने को जीवित करने के लिए दर-दर भटक रहा है। उसके चचेरे भाई रामबचन ने बताया कि चैतू और नंदलाल के नाम से फिरतू की जमीन लिख दी गई। बाद में फिरतू के साथ नंदलाल को भी मृत घोषित कर दिया गया। इसके बाद चैतू इकलौता मालिक हो गया। बाद में गोलमाल कर फिरतू के पिता और फिरतू के दो अन्य चाचा की जमीन भी चैतू के नाम हो गई। पीड़ित ने एसडीएम व सीओ फूलपुर को प्रार्थना पत्र दिया। जनसुनवाई में डीएम से गुहार लगाई। इसके बाद आज ही लेखपाल ने गांव पहुंचकर उससे कई कागजातों पर दस्तखत कराया। पीड़ित ने अपने जीवित होने के तमाम प्रमाणपत्र पहले ही अधिकारियों को दिए हैं। अब देखना है कि प्रशासन इन्हे कितने दिनों में जिंदा करता है।
रिपोर्ट-प्रमोद यादव/ज्ञानेन्द्र कुमार