अतरौलिया आजमगढ़ (सृष्टिमीडिया)। ग्रामीण पुनर्निर्माण संस्थान द्वारा संचालित ग्रामीण महिला सशक्तिकरण कार्यक्रम के अंतर्गत सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र अतरौलिया के बैठक कक्ष में विश्व तम्बाकू निषेध दिवस के अवसर पर युवाओं के साथ एक परिचर्चा का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में युवाओं द्वारा बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए राजदेव चतुर्वेदी ने बताया कि विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा हर साल 31 मई को विश्व तंबाकू निषेध दिवस का आयोजन किया जाता है ताकि तंबाकू और इसके उत्पादों के सेवन से जुड़े जोखिम और परिवार, समाज और पर्यावरण पर इसके बुरे प्रभाव के बारे में जागरूकता बढ़ाई जा सके। तम्बाकू का उपयोग और इसका सेवन कई प्रकार के कैंसर जैसे- फेफड़े, स्वरयंत्र, मुंह, ग्रासनली, गला, मूत्राशय, गुर्दे, यकृत, पेट, अग्न्याशय और गर्भाशय ग्रीवा के साथ-साथ दिल की बीमारी, मधुमेह, यक्ष्मा, कुछ नेत्र रोग के प्रमुख कारणों में से एक है। ऐसा अनुमान है कि तम्बाकू के सेवन के कारण हर साल 1 करोड़ से अधिक लोग मारे जाते हैं। डॉ. संतोष द्वारा बताया गया कि जब बीड़ी का धुंआ शरीर में जाता है, तो लोगों के सांस फूलने लगते हैं। जब सांस फूलना शुरू होता है तो दमा जैसे बीमारी होती है और शरीर कमजोर होता जाता है। इससे कैंसर तो नहीं होता लेकिन शरीर को यह बहुत नुकसान पहुंचाता है। ऐसा नहीं होता है कि कोई चीज नुकसान नहीं करता, नुकसान तो सब करता है, बस यह तुरंत नहीं पता चलता है। जितेंद्र कुमार द्वारा बताया गया कि पहले तो कैंसर के मरीज सुनने में आते थे अब देखने में आते हैं। जिस तरह से हम बीमारी के लिए टीका लगवाते है, उसी तरह से स्वास्थ्य के क्षेत्र में अगर हम अपने पर ध्यान नहीं देंगे तो नुकसान हमारा होगा। एक कहावत है। अगर आपने अपनी अच्छी आदतें बना ली हो, तो वह आपके लिए अच्छी होती हैं। यह बहुत सरल मार्ग नहीं है। इसके लिए आपके अंदर क्षमता होनी चाहिए। आप दुनिया से भाग सकते है लेकिन खुद से कभी नहीं भाग सकते हैं। आप अगर अच्छी आदतों को डालना है तो कुछ कुर्बानियां भी आपको देनी होंगी। बच्चे अब बच्चे नहीं है वह देश का भविष्य है । इस तरह के कार्यक्रमों के माध्यम से हम युवा पीढ़ी को तम्बाकू के सेवन से जुड़े जोखिमों के बारे में जागरूक कर सकते हैं और उन्हें स्वस्थ जीवन शैली अपनाने के लिए प्रेरित कर सकते हैं। कार्यक्रम के सफल आयोजन में संस्थान से ज्योति, पूजा, कुसुम, प्राची पाण्डेय, सिम्पा, नवनीत, आंचल आदि ने योगदान किया।
रिपोर्ट-आशीष निषाद