फूलपुर आजमगढ़ (सृष्टिमीडिया)। जिस स्थान पर चिकित्साधीक्षक का कार्यालय उसी से 50 मीटर दूर किराए के मकान में चल रहे यश्लोक क्लिनिक और अस्पताल की भनक विभागीय अधिकारियों को नहीं लगी। जिसका नतीजा रहा कि ऑपरेशन के बाद महिला की मौत हो गयी और समझौता कराकर अंतिम संस्कार भी करा दिया गया। कार्रवाई के नाम पर आधी अधूरी कार्रवाई चर्चा का विषय बनी हुई है।
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र से महज 50 मीटर की दूरी पर यश्लोक क्लिनिक का संचालन हो रहा था। वहीं स्टेट बैंक के सामने गली में यशलोक अस्पताल का संचालन होता है। दोनों का संचालन डा.मनोज कुमार द्वारा किया जाता है। अधिकारियों के अनुसार इसका रजिस्ट्रेशन होम्योपैथी के रूप में हुआ है। विगत 16 अगस्त को माधुरी विश्वकर्मा पत्नी संदीप निवासी जगदीशपुर की पथरी का ऑपरेशन हुआ था। तबियत खराब होने पर 17 अगस्त की भोर में मौत हो गयी। परिजनों के हंगामा पर यशलोक अस्पताल पर पुलिस भी पहंुची। परिजनों को समझा बुझा कर शांत कराया गया। डाक्टर के स्वजातीय लोगों ने पीड़ित पक्ष और डाक्टर के बीच समझौता कराया।
समाचार पत्रों में खबर प्रमुखता से प्रकाशित हुई। खबर को जिला स्वास्थ विभाग के अधिकारियों ने सज्ञान में लिया। अपर चिकित्साधिकारी अरविंद चौधरी के नेतृत्व में स्वास्थ टीम फूलपुर पहुंची और यशलोक क्लिनिक को सील कर दिया। लेकिन यशलोक अस्पताल पर कोई कार्यवाही नहीं हुई। ऑपरेशन करने वाले डा. एमजेड सिद्दीकी पर भी कोई कार्रवाई विभाग द्वारा नहीं की गयी। नगर में इस बात को लेकर चर्चा है कि जिला के स्वास्थ विभाग के जिम्मेदारों की मिली भगत से फर्जी रूप से क्षेत्र में नर्सिंग होम चलाये जा रहे हैं और ऑपरेशन भी किया जा रहा है। किसी प्रकार की घटना होने पर एक चीज की कार्यवाही कर अखबारों में प्रकाशन करा इतिश्री कर दिया जाता है। जबकि तहसील क्षेत्र के अगल बगल छोटी बड़ी बाजारों में तमाम ऐसे अस्पताल का संचालन किया जा रहा है। इसी प्रकार अल्ट्रासाउंड पैथालॉजी का संचालन हो रहा है। विभागीय अधिकारियों की मिली भगत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा रहा है कि जहा सारी घटना घटित हुई, मतलब ऑपरेशन और मृत्यु हुई उस अस्पताल को सीज नहीं किया गया। इस बात को प्रमाणित करता है कि कही ना कही नर्सिंग होम अस्पतालों के संचालन का कार्य जिला स्वास्थ विभाग के उच्चाधिकारियों के संरक्षण में चल रहा है।
रिपोर्ट-मुन्ना पाण्डेय