मार्टिनगंज आजमगढ़ (सृष्टिमीडिया)। नरात्रि के सातवें दिन कालरात्रि की पूजा का विधान है, जो लोग शत्रु बाधा से परेशान हैं, उन्हें इस देवी की विशेष रूप से आराधना करनी चाहिए। माता अष्टभुजी मंदिर के पुजारी पंडित गिरजा प्रसाद पाठक ने बताया कि मां कालरात्रि का शरीर अंधकार की तरह काला है। मां कालरात्रि के चार हाथ तीन नेत्र हैं। मां के बाल बड़े और बिखरे हुए हैं। माता के गले में पड़ी माला बिजली की तरह चमकती है। मां की श्वास से आग निकलती है। एक हाथ में माता ने खड्ग (तलवार), दूसरे में लौह शस्त्र, तीसरे हाथ वरमुद्रा और चौथे हाथ अभय मुद्रा में है।
उन्होंने बताया कि माता कालरात्रि अपने उपासकों को काल से भी बचाती हैं यानी उनकी अकाल मृत्यु नहीं होती। उन्होंने बताया कि मां कालरात्रि को प्रसन्न करने के लिए पूजा के दौरान रातरानी, लाल रंग का गुड़हल और लाल गुलाब का फूल चढ़ाना चाहिए। ये फूल मां कालरात्रि को प्रिय है। उन्होंने बताया कि मां कालरात्रि को गुड़ का भोग अत्यंत प्रिय है। नवरात्रि में सप्तमी तिथि की पूजा के समय मां कालरात्रि को गुड़, गुड़ की खीर या गुड़ से बनी चीज का भोग लगाना चाहिए, ऐसा कहते हैं कि ऐसा करने से मां का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
रिपोर्ट-अद्याप्रसाद तिवारी