अतरौलिया आजमगढ़ (सृष्टिमीडिया)-सूर्योपासना का महापर्व छठ कार्तिक शुक्ल षष्ठी को मनाया जाता है। सूर्योपासना के इस विशिष्ट अनुष्ठान का श्री गणेश दीपावली के बाद कार्तिक शुक्ल चतुर्थी से ही प्रारंभ हो जाता है। वास्तव में यह भगवान सूर्य की आराधना, पूजा अर्चना का पर्व है जो विशेष फल दायक होता है। यह पर्व सुख-शान्ति, समृध्दि, वैभव का वरदान तथा मनोवांछित फल दायक माना गया है। इसे करने वाली स्त्रियां सदैव धन-धान्य , सुख-समृद्धि तथा पति-पुत्र से परिपूर्ण रहती हैं और संसार के समग्र सुख भोग कर परम गति को प्राप्त होती हैं।
डाला छठ के अवसर पर दोपहर से ही महिलाएं पूजन सामग्री के साथ नगर स्थित पूरब पोखरा एवं पश्चिम पोखरे पर बने घाटों पर पहुँची। इसके एलावा क्षेत्र के नन्दना, मदियापार, लोहरा, बढया, बूढनपुर, अतरैठ, बांसगांव आदि जगहों पर बने घाटों तथा जलाशयों पर जाती नज़र आयी। महिलाओं ने पवित्र जलासयों में खडी होकर सायंकाल अस्त होते भगवान भाष्कर को अर्द्ध दिया। जहां पर मेले जैसा माहौल रहा।अपराह्न से ही महिलाएं समूह में एकत्रित होकर परम्परागत परिधानों, सुहाग के जोडों में सजी मंगलगीत गाते हुए गाजे- बाजे के साथ घाटों तक पहुंची। इस मौके पर नगर पंचायत अध्यक्ष सुभाष चंद्र जायसवाल, पूर्व अध्यक्ष रामचंद्र जायसवाल, धर्मेंद्र निषाद राजू ,जय किशन पांडे, टीटू विनायकर, तजमुल हुसैन, व नगर कर्मचारी मौजूद रहे।
रिपोर्ट-आशीष निषाद