आजमगढ़ (सृष्टिमीडिया)। लोकसभा चुनाव में जीत का सेहरा किसके सिर बंधेगा, यह तो 4 जून को पता चलेगा, लेकिन उससे पूर्व वोटों का अंकगणित लगाने के बाद सभी खुद को पास बता रहे हैं। सपा कार्यकर्ता धर्मंेद्र यादव जीत पक्की मान रहे, तो भाजपा वाले दिनेश लाल यादव ‘निरहुआ’ और बसपा वाले मशहूद अहमद को। आत्मविश्वास में तनिक कमी दिखाई नहीं दे रही है। वोटों के फीसद को लेकर बहुत चर्चा नहीं, लेकिन मौसम की तल्खी के बाद भी जितना मतदान हुआ उसे काफी माना जा रहा है।
चूंकि पूरी जंग जीत-हार के लिए एक-दूसरे के वोट बैंक में सेंधमारी को लेकर थी। अंदरखाने में खेल भी हुआ है, इसलिए वोटों के जोड़-घटाव में अधिकांश खुद को पास पा रहे हैं।
सपा कार्यकर्ताओं का कहना है कि जीत पक्की है। मेरा संगठन जमीन पर लड़ा है। कार्यकर्ताओं ने गांव-गांव में अपना शत-प्रतिशत सहयोग दिया है। उपचुनाव प्रत्याशी को भले कम समय मिला था, लेकिन इस बार तो प्रत्याशी ने खुद भी एक-एक गांव में दस्तक दी है। ऐसे में जनता का आशीर्वाद मिलना तय है। मौसम की तल्खी भी सपा के लिए शुभ संकेत ही है, क्योंकि सपा के अधिकांश वोटर्स घरों से निकले और वोट डाले हैं।
बहुजन समाज पार्टी के कार्यकर्ताओं का दावा है कि पूरी ताकत से चुनाव के दौरान लड़ा गया है। वोटर घरों से निकलकर वोट डाले हैं। भाजपा कार्यकर्ताओं का मानना है कि आम जनता ने चुनाव लड़ा है। चुनाव परिणाम को लेकर किसी तरह की फिक्र नहीं है। मतदान के दूसरे दिन वोटों में सेंधमारी को आधार बनाकर ही आमजन
जीत-हार के निष्कर्ष तक पहुंचने में जुटे थे, लेकिन कोई सटीक कुछ कह पाने की स्थिति में नहीं था। दरअसल, मुस्लिम, यादव, अनुसूचित जाति के मतदाताओं पर अलग-अलग सियासी दलों के सेनापतियों की निगाहें थीं। तोड़फोड़ की चाल भी चली गईं। सपा की निगाहें मुस्लिम मतदाताओं को समेटने के साथ अनुसूचित मतदाताओं को रणनीति मुताबिक साधने की थी, लेकिन इसकी कोशिश में किसने कितनी सफलता अर्जित की यह तो 4 जून को ही पता चल पाएगा।
रिपोर्ट-सुबास लाल