आजमगढ़ (सृष्टिमीडिया)। भारत वर्ष में विभिन्न धार्मिक त्योहार अपने-अपने तरीके से मनाये जाते हैं। परम्परा के अनुसार दीपावली में गणेश-लक्ष्मी की, रामनवमी तथा दशहरा में भगवान राम की, जन्माष्टमी में भगवान कृष्ण की, बुद्ध जयंती पर भगवान बुद्ध की पूजा अर्चना करने की परम्परा है किन्तु होली में अलग-अलग तरीके से बसन्तोत्सव मनाया जाता है। उक्त बातें पं.राजेंद्र पाठक उर्फ साधनानन्द ने प्रेस को जारी एक बयान में कही।
श्री पाठक ने बताया कि कहीं-कहीं पर होलिका की पूजा होती है तो कहीं नृसिंह भगवान की पूजा की जाती है जबकि शिव महापुराण में भगवान शरभ देव की पूजा का विधान है। भगवान शरभदेव की पूजा का विधान मध्य प्रदेश के खरगौन जिले में स्थित महेश्वर नामक तीर्थ स्थान शरमार्चा पद्धति, शरम दारुण सप्तक तथा शरमेश्वर कवच, नामक पुस्तक में उद्धृत है। जो गीता प्रेस के लिंग पुराण में उल्लिखित है। उन्होंने बताया कि शरभ मंदिर आसाम में तथा उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ जिले के कोल पांडेय मुहल्ले में रामायन मार्केट में स्थित है जहां भारी संख्या में लोग भगवान शरभ देव की पूजा-अर्चना उपर्युक्त ग्रंथों में लिखे गये मंत्रों द्वारा विद्वान कर्मकाण्डी पंडितों द्वारा की जाती है।
रिपोर्ट-सुबास लाल/प्रमोद यादव