मार्टिनगंज आजमगढ़ (सृष्टिमीडिया)। सूर्य की भीषण तपन से जनता परेशान है लेकिन तपन से ही इस प्रकृति और चराचर जगत का कल्याण होगा क्योंकि सूर्य अपनी सीधी रोशनी से पृथ्वी पर उपस्थित गंदे एवं विषैला बैक्टीरिया को नष्ट करते हैं और पृथ्वी को अपनी ऊर्जा से पोषित करते हैं और अत्यंत तीव्र धूप से जल को वाष्पित कर जल्द से जल्द वर्षा ऋतु को ले आने का प्रयास करते हैं।
पौराणिक मान्यता के अनुसार नौतपा का संबंध भगवान सूर्य से है। इस दौरान सूर्य की किरणें अत्यंत तीव्र और प्रभावशाली होती हैं। स्कंद पुराण और ब्रह्मवैवर्त पुराण जैसे ग्रंथों में इस समय को सूर्याेपासना के लिए विशेष फलदायी माना गया है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जब सूर्य देव रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश करते हैं, तो उसके बाद के 9 दिन पृथ्वी पर अत्यधिक गर्मी लेकर आते हैं। इस अवधि को नौतपा कहा जाता है। इस दौरान सूर्य की किरणें सीधे पृथ्वी पर पड़ती हैं, जिससे तापमान तेजी से बढ़ता है और गर्मी चरम पर पहुंच जाती है। इस वर्ष सूर्यदेव 25 मई को रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश किए और 8 जून तक यहीं स्थित रहेंगे। ऐसे में नौतपा की शुरुआत 25 मई, से ही मानी जाएगी. पौराणिक मान्यता के अनुसार, नौतपा का संबंध भगवान सूर्य से है। इस दौरान सूर्य की किरणें अत्यंत तीव्र और प्रभावशाली होती हैं। स्कंद पुराण और ब्रह्मवैवर्त पुराण जैसे ग्रंथों में इस समय को सूर्याेपासना के लिए विशेष फलदायी माना गया है. ऐसा विश्वास किया जाता है कि नौतपा के दिनों में सूर्य देव अपनी ऊर्जा से प्रकृति को शुद्ध करते हैं।
रिपोर्ट-अद्याप्रसाद तिवारी