आजमगढ़ (सृष्टिमीडिया)। सगड़ी तहसील क्षेत्र के उत्तरी इलाके में बहने वाली घाघरा नदी के जलस्तर में शनिवार को 32 सेमी की कमी रिकार्ड की गई, लेकिन छठवें दिन भी तीन बैराजों से 262009 क्यूसेक पानी छोड़े जाने से बाढ़ और कटान का खतरा बरकरार है। अब तक नदी में कुल 20,10,089 क्यूसेक पानी छोड़ा जा चुका है। पानी कम होने के कारण सोनौरा में नाव का संचालन बंद कर दिया गया है और आसपास के लोग घुटने भर पानी से आवागमन करने के लिए विवश हो गए हैं। बाकी हाजीपुर, मानिकपुर, शाहडीह और मसुरियापुर के रास्तों पर पानी ज्यादा होने के कारण ग्रामीण नाव से जरूरी सामानों के लिए आवागमन कर रहे हैं। हर साल तीन महीने तक घाघरा के जलस्तर मेें उतार-चढ़ाव होने के कारण अक्टूबर महीने तक तटवर्ती ग्रामीणों की बेचैनी कम होने का नाम नहीं ले रही है। एक दर्जन गांवों के लोगों के सामने पशुओं के चारे का संकट खड़ा हो गया है। कारण कि नदी किनारे के खेतों में पानी लगने से एक ओर पशुओं को चराना पालकों ने बंद कर दिया है, तो दूसरी ओर किसी तरह से काटने के बाद नाव से लाना मुश्किल हो रहा है।
झगरहवा गांव के लोगों के लिए सुखद यह कि जलस्तर कम होने के साथ कृषि योग्य भूमि की कटान पहले से मंद हो गई है, लेकिन कटान का खतरा समाप्त नहीं हुआ है। हाजीपुर, बांका, बूढ़नपट्टी, शाहडीह, मानिकपुर, अभन पट्टी, सोनौरा, चक्की हाजीपुर गांव के संपर्क मार्ग अभी भी डूबे हुए हैं।
मुख्य गेज स्थल बदरहुआ नाला के पास शुक्रवार को दोपहर 12 बजे 72.03 मीटर यानी जलस्तर 35 सेमी ऊपर रिकार्ड किया गया था, जबकि शनिवार को 32 सेमी घटकर जलस्तर 71.71 मीटर रहा। यहां खतरा निशान 71.68 मीटर है। इस प्रकार शनिवार को नदी खतरा निशान से मात्र तीन सेमी ऊपर बह रही थी।
संपर्क मार्गों पर पानी चढ़ जाने से आवागमन प्रभावित हो गया है और ग्रामीण नाव से आवागमन कर रहे हैं। हाजीपुर, मानिकपुर शाहडीह व मसुरियापुर में लोगों को आवागमन के लिए नाव लगा दी गई है, आसपास गांवों के लोग भी इन्हीं स्थानों से रोजमर्रा की जरूरतों को पूरी करने के लिए आवागमन कर रहे हैं, जबकि सोनौरा के संपर्क मार्ग पर पानी कम होने के कारण नाव का संचालन नहीं हो पा रहा है। बचाव राहत कार्य के लिए प्रशासन द्वारा 10 बाढ़ चौकियों की स्थापना की गई है। बाढ़ खंड के अनुसार शुक्रवार को 294716 क्यूसेक पानी छोड़ा गया, जबकि शनिवार को तीन बैराजों से कुल 262009 क्यूसेक पानी डिस्चार्ज किया गया है।
इससे देवारावासियों की धड़कनें कम होने का नाम अभी नहीं ले रही हैं और वे 2022 में आई बाढ़ को याद कर सिहर जा रहे हैं, क्योंकि उस समय बाढ़ ने कई वर्षों का रिकार्ड तोड़ दिया था। तब बाढ़ का पानी लोगों के घरों में घुस गया था और अनाज से लेकर जानवरों का भूसा तक पूरी तरह से भींग गया था। कई घर व शवदाह भी नदी की धारा में विलीन हो गए थे और लोग अपने जानवरों के साथ महुला-गढ़वल बंधे पर या आश्रय स्थलों पर रहने को मजबूर हो गए थे।
रिपोर्ट-सुबास लाल