सदाचार से ही है अच्छे आचरण की पहचान: विद्याधर

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रानीकीसराय आजमगढ़ (सृष्टिमीडिया)। स्थानीय ब्लाक क्षेत्र के साकीपुर स्थित श्रीराम जानकी मंदिर पर चल रहे श्रीराम कथा मंे कथावाचक विद्याधर दास ने कहा कि माता पिता के अनादर से जीवन में खुशियां नहीं आ सकती। सदाचार से ही अच्छे आचरण की पहचान है। राम के आदर्श को अपनाएं।राम विवाह की मनमोहक प्रस्तुति रही।
अयोध्या में श्रीरामलला के प्राण प्रतिष्ठा के उपलक्ष्य में नौ दिवसीय संगीतमय श्रीरामकथा में देर शाम से देर रात तक श्रद्वालु भक्ति रस में डूबे रहे। शुक्रवार को कथावर्णन मंे ब्रज रसिक विद्याधर दास ने कहा कि श्रीराम के हर आचरण में एक सुखमय संदेश दिखता है। विवाह प्रसंग मंे कहा कि राजा दशरथ के घर श्रीराम का तीन भाईयों संग जन्म के बाद छाई खुशियों के बीच श्रीराम के पृथ्वी पर अवतार का क्रम भी शुरु रहता है। जनक नंदनी माता सीता का स्वंयर होता है। अनेक देश के राजाओं के साथ अपने गुरु संग राम लक्ष्मण भी पहुचते है। जब सभी स्वंयर के शिव धनुष को नही हिला पाते तो जब राम उठते है उस समय सीता जी की मां एक बार चिंतित मुद्रा मंे कहती है। अब ये कोमल हाथ वाले राजकुमार कैसे धनुष को उठायंेगे। मिथिला नरेश भी निराशा की ओर देखते है। गुरु की आज्ञा पाकर श्रीराम धनुष पर प्रत्यंचा चढाते हैं और धनुष टूट जाती है। तप में लीन भगवान शंकर और माता पार्वती भी यह देख प्रसंन्न होती हैं। चंद समय मंे मिथिला में खुशियां छा जाती है और श्रीराम का विवाह सम्पन्न होता है। इधर अयोध्या मंे भी खुशियों की खबर पहुचती है। नव निर्मित राम जानकी मंदिर की परिक्रमा में भी काफी श्रद्वालुओं की भीड रही। श्रीराम सीता झांकी की भी प्रस्तुति रही। समिति के सदस्य व्यवस्था संचालन मंे रहे।
रिपोर्ट-प्रदीप वर्मा

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