आजमगढ़ (सृष्टिमीडिया)। सूत्रधार संस्थान व संस्कृति विभाग भारत सरकार के सहयोग से आयोजित तीन दिवसीय रंग महोत्सव आरंगम 2024 का समारोह पूर्वक समापन किया गया। रंग महोत्सव प्रोफ़ेसर राज बिसारिया डॉ.कन्हैया सिंह राजकुमार श्रीवास्तव को समर्पित रहा।
18वें रंग महोत्सव आरंगम के तीसरे व अंतिम दिन दो प्रसिद्ध नाटक कविता पाठ लोक कला रंग संगीत के कार्यक्रमों की प्रस्तुतियां हुई। नाटक पहलवान की ढोलक का कलाकारों ने मंचन किया। उक्त नाटक व्यवस्था के बदलने के साथ लोक-कला और इसके कलाकार के अप्रासंगिक हो जाने की कहानी है। इसी क्रम में रचनाकार भीष्म साहनी का नाटक साग मिट का भी मंचन किया गया।
उक्त नाटक मालिक-नौकर के सम्बन्धों पर लिखी गयी है। नौकर जग्गा बहुत सीधा कुशल और आज्ञाकारी नौकर है। मालकिन उसका किस्सा अपनी सहेली को सुना रही हैं। वह साग-मीट नाम का व्यंजन बहुत अच्छा बनाता था। उसकी नयी-नयी शादी हुई। मालिक का भाई विक्की जग्गू की नवविवाहिता से सम्बन्ध स्थापित करता है। जग्गू को मालूम हुआ तो उसने ट्रेन से कटकर जान दे दी। रसूख और घूस के बल पर पुलिस-केस रफ़ा-दफ़ा करा लिया गया। जग्गा के घरवाले आये उसकी बीवी के घरवाले आये थोड़े पैसे देकर उन्हें भी शांत कर दिया गया। मालिक की बहुत साफ समझ है कि सौ-पच्चास दे दो तो गरीब का मुंह बंद हो जाता है। जग्गा की मौत (आत्म)-हत्या की वजह को दबा देते हैं और उसके परिजनों का मुंह बंद कर देते हैं। यह समाज के प्रभुत्वशाली वर्ग का सहज अनुभव है स्वाभाविक अभ्यास है। इस अवसर पर डॉ.सीके त्यागी, रंगकर्मी अभिषेक पंडित, ममता पंडित, विवेक पाण्डेय, आशीष उपाध्याय, निखिल अस्थाना, आंचल तिवारी, सुमन चौहान, आशीष चौहान, सत्यम, गोपाल, हर्ष आदि उपस्थित रहे।
रिपोर्ट-प्रमोद यादव/ज्ञानेन्द्र कुमार