घरों से लेकर देवालयों तक हुई तुलसी पूजा, जलाए गए दीप

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आजमगढ़ (सृष्टिमीडिया)। कार्तिक मास में हर दिन त्योहार के क्रम में छठ के बाद शनिवार को हरि प्रबोधिनी एकादशी आई, तो दीपावली जैसा उत्साह दिखा। लोगों ने नदी-सरोवरों में डुबकी लगाकर पूजा-अर्जना की। रंगोली सजाकर भगवान विष्णु के चरणों में गन्ना, सिंघाड़ा तथा अन्य पूजन सामग्री अर्पित की गई। ग्रामीण क्षेत्रों में इस पर्व को लेकर खासा उत्साह रहा। श्रद्धालुओं ने उपवास रखकर पूजन किया।
एकादशी को लेकर सुबह लोगों ने लाल गन्ने की खरीददारी की। श्री हरि विष्णु के साथ तुलसी विवाह के लिए लोगों ने गन्ने के सहारे आंगन में मंडप भी बनाया। जिनके पास अपना घर नहीं उन्होंने मकान की छत पर मंडप बनाकर तुलसी विवाह की रस्म पूरी की। पूजा पाठ के बाद इस गन्ने को प्रसाद के तौर पर लोगों ने ग्रहण किया। जिनके घरों में किन्हीं कारणों से दीपावली नहीं मनाई जाती वहां लक्ष्मी-गणेश और कुबेर की पूजा अर्चना की गई। इस दौरान रहकर पटाखे की गूंज भी सुनाई देती रही थी। एकादशी को ही गन्ने और नए गुड़ के नेवान की भी परंपरा है। इसे लेकर बाजार में लाल गन्ना, गंजी, सिंघाड़ा सहित अन्य फलों की बिक्री होती रही। चौक, पहाड़पुर, बड़ादेव, मातबरगंज सहित अन्य बाजारों में गन्ने के स्टाल लगाए गए थे।
फूलपुर प्रतिनिधि के अनुसार-खराब मौसम के कारण सडक़ की पटरियां कीचड़ में तब्दील थीं, लेकिन उसी मेें गन्ने व अन्य फलों की दुकानें लगी हुई थीं और सुबह से लेकर शाम तक खरीदारी होती रही। दिन डूबने के साथ तुलसी पूजा और विवाह की रस्म के साथ देवालयों और घरों को दीपक से रोशन किया गया।
रिपोर्ट-सुबास लाल

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