पिता के वचन की रक्षा के लिए श्रीराम को जाना पड़ा वन: विद्याधर

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रानीकीसराय आजमगढ़ (सृष्टिमीडिया)। स्थानीय क्षेत्र के साकीपुर गांव स्थित राम जानकी मंदिर प्रांगण में चल रही श्रीराम कथा मंे कथावाचक विद्याधर दास ने कहा कि पिता बचन रक्षा के लिए प्रभु राम ने बन जाना स्वीकार किया था। पुत्र के लिए पिता के बचन का पालन सबसे बड़ा धर्म होता है। राम के बन जाते ही रो पड़ती है अयोध्या।
विद्याधर दास महराज ने कहा कि राजा दशरथ को चिंतन मुद्रा में देख प्रभु राम समझ गये कि पिता किसी धर्मपालन को लेकर चिंतित है। राजा दशरथ से बार बार पूछते हैं परंतु राजा दशरथ मुख से कह नहीं पाते। राजा दशरथ को श्रीराम काफी प्रिय थे परंतु जानते थे राम पिता के बचन पालन के लिए कुछ भी करेंगे। पास मंे ही खडी माता कैकई ने बताया महाराज अपने बचन पालन के लिए चिंतित हैं। माता से बचन पालन बृतांत सुन राम बन जाने के लिए तैयार हो जाते हैं। साथ मंे सीता और लक्ष्मण भी बन के लिए प्रस्थान करते हैं। श्रीराम के इस पिता आज्ञा के पुत्र धर्म का सभी को अनुसरण करना चाहिए। राम के अयोध्या से बन जाते सभी रो पड़ते हैं। श्रीराम गंगा नदी किनारे पहुंचते हैं जहां नौका से नदी पार करने के लिए केवट से कहते हैं। केवट राम नाम सुनते ही कह उठता है शर्त के साथ नौका पर बैठायेंगे। पहले आप के पांव पखारंेगे फिर उसे पीयेंगे फिर नौका से पार ले जायेंगे। केवट का श्रीराम के प्रति प्रेम की एक सुखद अभिलाषा झलकती है। इस मौके पर धर्मेंद्र तिवारी, राहुल तिवारी, अरविंद कुमार, विन्ध्याचल, विशाल तिवारी, गनगन तिवारी, शुभम, टिक्कू आदि उपस्थित रहे।
रिपोर्ट-प्रदीप वर्मा

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