निर्जला एकादशी: काशी में लिया गया यह संकल्प

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भव्य कलश यात्रा निकाल भक्तों ने शंकराचार्य को किया याद

वाराणसी (सृष्टि मीडिया)। निर्जला एकादशी के अवसर पर काशी में भव्य कलश यात्रा निकाली गई। संतोष दास सतुआ बाबा के नेतृत्व में श्रद्धालुओं ने राजेंद्र प्रसाद घाट से रजत कलश में गंगा जल भरकर काशी विश्वनाथ धाम पहुंचकर भगवान शिव का जलाभिषेक किया। घर-परिवार की सुख-समृद्धि व समाज के कल्याण की कामना की। वसुधैव कुटुंबकम का संकल्प लिया। इस दौरान सतुआ बाबा ने कहा कि शंकराचार्यजी की प्रेरणा से 1992 में कलश यात्रा प्रारंभ हुई। इस कलश यात्रा का उद्देश्य था संस्कृति का आदान-प्रदान एवं देश की एकता को मजबूत करना। अब तक सभी ज्योर्तिलिंग के अध्यक्ष, प्रधान पुजारी एवं अन्य कलश यात्रा में सहभागिता करके कलश यात्रा को महिमा मंडित कर चुके हैं। इस वर्ष बुधवार को सुबह सात बजे श्री राजेंद्र प्रसाद घाट से गोदौलिया, बांसफाट होते हुए ज्ञानवापी स्थित श्री काशी विशेश्वर मंदिर पहुंची।

हजारों वर्षों से चली आ रही परंपरा

उन्होंने कहा कि काशी में यह परंपरा हजारों वर्षों से चली आ रही है। निर्जला एकादशी के दिन काशी में निवास व भोलेनाथ का गंगाजल से जलाभिषेक करने का विशेष महत्व है। इसलिए ज्येष्ठ मास की निर्जला एकादशी के पावन दिवस पर करोड़ों हिन्दू लोकायत देवता नटराज जी के जलप्रिय स्वरूप श्री काशी विश्वनाथ जी का जलाभिषेक करते हैं। सतयुग, त्रेता एवं द्वापर युग में ज्योति के रूप में द्वादश ज्योर्तिलिंग भारत वर्ष के विभिन्न अंचलों में स्थापित हुए, जो करोड़ों हिन्दू जनमानस के आस्था के प्रतीक है। इनमें श्री काशी विशेश्वर ज्योर्तिलिंग का अपना विशिष्ट स्थान है। क्योंकि यह इतिहास से भी पुरानी नगरी काशी में है। काशी भोलेनाथ का निवास स्थल है। यात्रा के दौरान रास्ते भर मारवाड़ी युवक संघ ने जल का छिड़काव किया।

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