आजमगढ़ (सृष्टिमीडिया)। लबों पर उसके कभी बद्दुआ नहीं होती, बस एक मां है जो मुझसे खफा नहीं होती। इटौरा स्थित संस्कार पाठशाला में मदर्स डे के अवसर पर सास्कृतिक कार्यक्रमांे का आयोजन किया गया जिसमें बच्चों ने मां पर आधारित नाट्य, नृत्य और संगीत प्रस्तुत किये।
बच्चों की शानदार प्रस्तुति देखकर आए हुए अभिवावक भाव विभोर हो उठे। विद्यालय के प्रबंधक राजीव त्रिपाठी का कहना था कि स्याही खत्म हो गई लिखते लिखते ऐ मां तेरे प्यार की दास्तां लिखते लिखते। मां तो हमेशा खास होती है। इसलिए ही तो वो हमारी पहली गुरु, पहली दोस्त और पहली सखी होती है। वो हमें कभी भी जज नहीं करती हैं। जब भी हमें चोट या दर्द होता है तो हमारे मुंह से सबसे पहला शब्द मां ही निकलता है। प्रधानाचार्य चंदन सिंह ने कहा कि विद्यालय द्वारा इस तरह के आयोजन माताओं को सम्मान देने के लिए किया जाता है। आइडियल जर्नलिस्ट एसोसिएशन के राष्ट्रीय महासचिव साहित्यकार संजय कुमार पांडेय सरस ने इस तरह के आयोजनों की प्रशंसा करते हुए विद्यालय परिवार को धन्यवाद देते हुए कहा कि मां के चरणों के नीचे ही स्वर्ग है। विद्यालय की अन्नू, अंकिता, काव्या दुबे, रिया चौधरी, नव्या पांडेय, दिव्यानी पांडेय, परी दुबे, कृति पांडेय ने बेहतरीन पार्टिसिपेट किया। इस अवसर पर केएस श्रीवास्तव, रंजन त्रिपाठी, सहित विद्यालय के अध्यापक और अभिवावक उपस्थित रहे। संचालन विद्यालय की छात्रा अंकिता पांडेय और निखिल ने किया।
रिपोर्ट-प्रमोद यादव/ज्ञानेन्द्र कुमार