बिना सत्संग के विवेक नहीं हो सकता: सर्वेश जी महराज

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आजमगढ़ (सृष्टिमीडिया)। ओंकारेश्वर महादेव मंदिर पटखौली के प्रांगण में चल रही सतचंडी महायज्ञ एवं श्री राम कथा में अयोध्या धाम से पधारे प्रेम मूर्ति युवा संत सर्वेश जी महाराज ने अपने मुखारविंद से कहा कि बिना सत्संग के विवेक नहीं हो सकता।
उन्होंने कहा कि सत्संग जीवन में अनिवार्य है, देवी सती को भोले बाबा कथा में लेकर गए। दक्षिण भारत कथा सुनी केवल भोलेनाथ ने सती जी को अविश्वास आ गया, मन में तरक आ गया और शिव जी से कहा कि कथा समझ में नहीं आ रही, राम ब्रह्म है, परमात्मा है तो नारी के बिरहा में आंसू पात क्यों किया। भोलेनाथ कहते हैं कि हे देवी ओ लीला करने के लिए आते हैं और फिर सुधाम चले जाते हैं तो भगवान विष्णु राम के रूप में अवतार लिए और उन्होंने लीलाएं की तो इसमें कोई संदेह नहीं करना चाहिए वह ब्रह्म हैं, ईश्वर हैं, सर्वव्यापी हैं, सती जी राम जी की परीक्षा हेतु जाती हैं, रामजी जान गए और कहा मां आपके चरणो में राजकुमार राम प्रणाम करते हैं। वृषभ के तू कहां है आप जंगल में क्यों अकेली फिर रही हो, तब सती जी को आश्चर्य हुआ और जब मुड़ करके देखे तो चारों तरफ राम-सीता के साथ बैठे नजर आते हैं, तब उनकी आंखें खुल गई कि जिसकी मैं परीक्षा लेने आई वह साक्षात ब्रह्म हैं।
रिपोर्ट-प्रमोद यादव/ज्ञानेन्द्र कुमार

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