आजमगढ़ (सृष्टिमीडिया)। सगड़ी तहसील क्षेत्र के उत्तरी क्षेत्र में बहने वाली सरयू (घाघरा) नदी में दूसरी बार मंद गति से शुरू उफान गुरुवार को फिर थम गई, लेकिन दूसरे ही दिन नदी की चाल बदली और शुक्रवार को जलस्तर में तीन सेमी की वृद्धि रिकार्ड की गई। हालांकि, वृद्धि तो मामूली रही, लेकिन तीन महीने तक जलस्तर में उतार-चढ़ाव के कारण ग्रामीणों की चिंता बरकरार है। इस बीच झगरहवा और बगहवा में कटान की गति मध्यम होने से तटवर्ती लोगों ने थोड़ी सी राहत भी महसूस की है।
24 घंटे के अंदर जलस्तर में तीन सेमी की वृद्धि रिकार्ड की गई। जलस्तर में 18 जुलाई से शुरू वृद्धि लगातार छह दिनों तक कम होने के बाद 29 जुलाई से फिर शुरू हो गई थी। इस बीच पचीसवें दिन भी छोड़े गए 2,01,818 क्यूसेक पानी से अभी भी बाढ़ और कटान का खतरा बना हुआ है। मुख्य माप स्थल बदरहुआ नाला के पास जलस्तर खतरा निशान 71.68 मीटर से 39 सेंटीमीटर नीचे 71.29 मीटर रिकार्ड किया गया, जबकि गुरुवार को यहां का जलस्तर 71.26 मीटर रिकार्ड किया गया था। मंद गति से जलस्तर में वृद्धि और दूसरी ओर पानी छोड़े जाने से बेचैनी समाप्त नहीं हुई है। वहीं देवारा खास राजा गांव के झगरहवा पुरवा व बगहवा में कटान की गति मध्यम होने के बाद भी लोग अपना सामान सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने में लगे हुए थे। आठ जुलाई से पानी छोड़ने का क्रम पचीसवें दिन शुक्रवार को भी बना रहा और तीन बैराजों से 2,01,818 क्यूसेक पानी छोड़ा गया। बीच में 25 जुलाई को पानी नहीं छोड़ा गया था। इस प्रकार अब तक 72,54,798 क्यूसेक पानी छोड़ा जा चुका है। जलस्तर में उतार-चढ़ाव के बीच लगातार पानी छोड़े जाने से ग्रामीणों की चिंता बनी हुई है।
फिलहाल झगरहवा और बगहवा में तीन दिनों बाद शुरू हुई कटान शुक्रवार को भी जारी रही। जलस्तर में तीन महीने उतार-चढ़ाव के कारण प्रशासन अभी भी अलर्ट दिख रहा है। बचाव व राहत कार्य के लिए 10 बाढ़ चौकियों की स्थापना के साथ 14 स्थानों को राहत शिविर के लिए चयनित किया जा चुका है। बाढ़ खंड विभाग के साथ तहसील प्रशासन स्थिति पर नजर रख रहा है। राजस्व कर्मियों को हर पल स्थिति पर नजर और उससे अवगत कराने का निर्देश दिया गया है।
रिपोर्ट-सुबास लाल