उफान पर उत्साह, भाइयों की कलाई पर बंधेगी रक्षा की डोर

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आजमगढ़ (सृष्टिमीडिया)। भाई-बहन के अटूट रिश्ते का अनोखा त्योहार रक्षाबंधन सोमवार को मनाया जाएगा। पर्व को लेकर तैयारियां रविवार को पूरी कर ली गईं। पर्व को लेकर उत्साह उफान पर दिखा और देर रात तक राखी बाजार गुलजार रहा। स्थाई दुकानों के साथ सड़क किनारे भी आकर्षक राखियों की दुकानें सजी रहीं। इस पर्व पर राखी बांधने के बाद भाइयों को मिष्ठान खिलाने की परंपरा होने से दुकानदार भी तरह-तरह के मिष्ठान तैयार करने में जुटे रहे। वहीं बहनों के ससुराल से मायके पहुंचने का सिलसिला एक दिन पहले ही शुरू हो गया था। कोई पति के साथ तो कोई अकेले पहुंचा। जहां किन्हीं कारणों से बहनों के आने में समस्या थी, वहां भाइयों ने बहन के घर का रुख कर लिया। गांव से लेकर शहर तक राखी की दुकानें देर रात तक सजी रहीं। चंदन की लकड़ी पर जय श्रीराम और भाइयों को संदेश देने वाली राखियों के अलावा स्वास्तिक, रुद्राक्ष, चांदी का नग लगी राखियों की मांग रही। वहीं बच्चों के लिए छोटा भीम, गणेशा, ट्रेंडी स्पाइडर खरीदी गई। दोपहर तक तो बाजार सामान्य दिख रहा है, लेकिन शाम होने के साथ भीड़ बढ़ती गई। दूसरी ओर भाइयों में भी उत्साह कम नहीं था वह बहनों को देने के लिए अपने सामर्थ्य के अनुसार उपहार की व्यवस्था करने लगे रहे। दुकानों पर बज रहे गीत रक्षाबंधन का संदेश दे रहे थे।

इनसेट-
रखाबंधन पर भद्रा का साया, दिन के डेढ़ बजे के बाद बांधें राखी

आजमगढ़। इस बार भी रक्षाबंधन के त्योहार पर भद्रा का साया रहेगा। ज्योतिषाचार्य, वास्तुशास्त्री व कर्मकांडी सत्यम त्रिपाठी उर्फ सत्यम गुरु के अनुसार श्रावण मास की पूर्णिमा 18 अगस्त दिन रविवार की रात 2.15 बजे से 19 अगस्त दिन सोमवार की रात 12.23 बजे तक रहेगी। पूर्णिमा शुरू होने के साथ भद्रा लग जाएगी, जो सोमवार को दिन के लगभग डेढ़ बजे तक रहेगी। ऐसे में सोमवार को दिन के डेढ़ बजे के बाद से रक्षाबंधन का पर्व मनाना उचित होगा। कारण कि भद्रा काल में रक्षा सूत्र बांधना उचित नहीं होता। बताया कि कुछ लोगों की धारणा है कि सूर्यास्त के बाद रक्षा सूत्र नहीं बांधा जाना चाहिए, लेकिन ऐसा कहीं प्रमाणित नहीं है।
रिपोर्ट-सुबास लाल

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