मार्टिनगंज आजमगढ़ (सृष्टिमीडिया)। आश्विन मास की शुक्ल पक्ष तृतीया तिथि पर बुधवार यानी आज नवरात्रि का तीसरा दिन है। यह पावन अवसर मां चंद्रघंटा को समर्पित है, जो भक्तों के हृदय में ममता और शक्ति का संचार करती हैं। इस दिन मां चंद्रघंटा की पूजा की जाती है।
माता अष्टभुजी मंदिर के पुजारी ज्योतिष के ज्ञाता कर्मकांड विशेषज्ञ पंडित गिरजा प्रसाद पाठक ने बताया कि द्रिक पंचांग के अनुसार, बुधवार को सूर्य कन्या राशि में गोचर करेंगे, जबकि चंद्रमा तुला राशि में विराजमान रहेंगे। अभिजीत मुहूर्त नहीं है और राहुकाल का समय दोपहर के 12 बजकर 13 मिनट से शुरू होकर 1 बजकर 43 मिनट पर खत्म होगा। देवी भागवत पुराण में वर्णित है, मां चंद्रघंटा का स्वरूप अत्यंत भव्य और अलौकिक है। उनके मस्तक पर अर्द्धचंद्र सुशोभित है। यही कारण है कि उन्हें चंद्रघंटा नाम से जाना जाता है। मां चंद्रघंटा की पूजा से जीवन के हर क्षेत्र में सफलता प्राप्त होती है। इसके साथ ही, मानसिक शांति भी मिलती है और नई ऊर्जा का संचार होता है। पूजा में लाल और पीले गेंदे के फूल चढ़ाने का महत्व है, क्योंकि यह फूल मां की ममता और शक्ति का प्रतीक हैं। पूजा की सरल विधि अपनाकर भक्त घर में ही मां की कृपा पा सकते हैं। मां दुर्गा के सामने घी का दीपक और धूपबत्ती जलाएं। आप चाहें तो दुर्गा सप्तशती का पाठ कर सकते हैं। अंत में मां दुर्गा की आरती करें।
रिपोर्ट-अद्याप्रसाद तिवारी