बैठने की व्यवस्था के अनुसार किया गया था अधिवक्ताओं से अनुरोधः डीएम

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आजमगढ़ (सृष्टिमीडिया)। सिविल कोर्ट के अधिवक्ताओं की नाराजगी के बीच जिलाधिकारी विशाल भारद्वाज ने रविवार को अपना पक्ष रखते हुए बताया कि किसी भी अधिवक्ता को बाहर जाने को नहीं कहा गया, बल्कि उनसे बैठने की व्यवस्था के अनुसार अनुरोध किया गया।
डीएम ने विभिन्न समाचार पत्रों में सिविल कोर्ट बार एसोसिएशन के प्रतिनिधि मण्डल से मुलाकात के वक्त जिलाधिकारी द्वारा कथित तौर पर दुर्व्यहार के सम्बन्ध में प्रकाशित समाचार के सम्बन्ध में वस्तुस्थिति से अवगत कराते हुए बताया कि 14 जून आनन्द श्रीवास्तव मंत्री सिविल कोर्ट बार एसोसिएशन ने फोन करके सिविल कोर्ट बार एसोसिएशन के प्रतिनिधि मण्डल, जिसमें अध्यक्ष एवं स्वयं वे रहेंगे, को मिलने का समय मांगा। इस पर उन्हें मिलने का समय 11 बजे कलेक्ट्रेट में दिया गया। लगभग 11.15 बजे जन सुनवाई के दौरान सिविल कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष अशोक कुमार पाण्डेय व मंत्री आनन्द श्रीवास्तव के साथ लगभग 10 से 15 अधिवक्ता वार्ता हेतु कलेक्ट्रेट स्थित जिलाधिकारी के कार्यालय कक्ष आए। प्रतिनिधि मण्डल में अत्यधिक संख्या में अधिवक्ताओं के होने के दृष्टिगत अनुरोध किया गया कि कार्यालय कक्ष में जितने व्यक्तियों के बैठने की व्यवस्था है, उतने ही व्यक्ति बैठें। समाचार पत्रों के माध्यम से सिविल कोर्ट बार एसोसिएशन का कथन कि कई सदस्यों को बाहर निकाल दिया गया, यह तथ्यों के विपरीत है।
जहां तक कृपा शंकर सिंह तहसील सगड़ी के प्रकरण में कार्यवाही किये जाने का प्रश्न है, में सिविल कोर्ट बार एसोसिएशन के प्रतिनिधि मण्डल के साथ वार्ता के दौरान उन्हें यह अवगत कराया गया कि प्रकरण राजस्व संहिता की धारा-30 (2) से संबंधित है, जिसमें संबंधित न्यायालय के आदेश पर राजस्व कर्मियों द्वारा आख्या संबंधित राजस्व न्यायालय को प्रेषित की गयी है। आख्या पर शिकायतकर्ता को नियमों के अन्तर्गत आपत्ति का अवसर उपलब्ध है, जिसे वह संबंधित न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत कर सकते हैं, जिस पर उ0प्र0 राजस्व संहिता 2006 के सुसंगत प्राविधानों के अनुरूप तत्परता से कार्यवाही की जायेगी।
रिपोर्ट-सुबास लाल

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