आजमगढ़ (सृष्टिमीडिया)। जलस्तर में लगातार कमी से राहत महसूस कर रहे ग्रामीणों के सामने एक बार फिर समस्याओं की बाढ़ आ गई है। आठवीं बार सरयू नदी की लहरें उफान मारने लगीं, तो पहले तीन फिर चार और शनिवार को पांच गांवों में कटान शुरू हो गई। कई गांवों के रास्ते पानी में डूब गए हैं, लेकिन प्रशासन को अभी और जलस्तर बढ़ने का इंतजार है। यानी कहीं भी सरकारी स्तर पर नाव का संचालन शुरू नहीं किया गया है। इस बात की पुष्टि क्षेत्र के राजस्व निरीक्षक अनिल सिंह ने खुद की है।
हालांकि, जलस्तर में 24 घंटे के अंदर मात्र 2 सेमी की वृद्धि रिकार्ड की गई, जो खतरा निशान से 23 सेमी दूर है। इस बीच तीन बैराजों से 61वें दिन भी छोड़े गए 2,78,649 क्यूसेक पानी ने परेशानी को बढ़ा दिया है। कई गांवों के रास्ते फिर डूब गए हैं और पशुओं के लिए हरे चारे का संकट बरकरार है। जिनके खेत महुला-गढ़वल बांध के दक्षिण भी हैं वह पांच से छह किमी की दूरी तय कर हरे चारे की व्यवस्था कर रहे हैं।
देवारा क्षेत्र के शाहडीह, सोनौरा, अभ्भनपट्टी, जमुवारी आदि गांवों के संपर्क मार्गों पर पानी चढ़ गया है। लोग पानी से होकर आवागमन कर रहे हैं। शुक्रवार को जलस्तर खतरा निशान 71.68 मीटर से 25 सेमी नीचे 71.43 मीटर रिकार्ड किया गया, जबकि शनिवार को 71.45 मीटर था। देवारा खास राजा ग्राम सभा के झगरहवा, बगहवा, बासू का पुरवा और परसिया के बाद शनिवार को सहबदिया में भी मंद गति से कटान शुरू हो गई है। खेतों में अभी भी पानी होने के कारण हरे चारे की समस्या बरकरार है। हालांकि, जलस्तर में तीन महीने उतार-चढ़ाव को ध्यान में रखते हुए प्रशासन अलर्ट है। 10 बाढ़ चौकियों को सक्रिय किया गया है, तो वहीं 17 आश्रय स्थलों को निर्धारित कर दिया गया है।
रिपोर्ट-प्रमोद यादव/ज्ञानेन्द्र कुमार