आजमगढ़ (सृष्टिमीडिया)। महाराष्ट्र के प्रमुख पर्व गणेशोत्सव को लेकर जिले में भी उत्साह कम नहीं दिखा। घरों से लेकर पूजा पंडाल तक विधि-विधान से गणपति की प्रतिमा स्थापित की गई। आसिफगंज स्थित दामोदर कटरा में बने पंडाल में गणेश जी की बड़ी प्रतिमा के साथ छोटी प्रतिमा भी स्थापित की गई। खास यह रहा कि अबकी लाल बाग के राजा कहे जाने वाले गणेश जी की तरह प्रतिमा को मुंबई से मंगाया गया था।
प्रकाश पाटिल, संभाजी पाटिल व रामभाव यजमान बने, तो पंडित चंदन दुबे शास्त्री ने पूजन-अर्चन के साथ प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा कराई। उसके बाद घंट-घड़ियाल की ध्वनि के साथ आरती की गई, जिसमें गैर मराठी समाज के लोग भी शामिल हुए और उसके बाद शिव-पार्वती का दुलारा गणपति का जयकारा गूंजने लगा।
पूजा के बाद वहां उपस्थिति सभी लोगों को प्रसाद का वितरण किया गया। ध्वनि विस्तारक यंत्रों के माध्यम से सुबह से लेकर शाम तक गणपति से जुड़े भजन सुनाई दे रहे थे। पूजा के समय मराठी समाज के अलावा आसपास के अन्य लोगों ने भी आरती में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई।
आयोजक मंडल के सदस्य संजय भोसले ने बताया कि मराठी समाज के लोग कभी इस पर्व को नहीं भूलते। पंडाल के अलावा विभिन्न मोहल्लों में रहने वाले मराठी के घरों में भी प्रतिमा स्थापना की गई है। घरों में भी सात दिन तक पूजन-अर्चन किया जाएगा। सात दिनों तक पूजा के बाद 13 सितंबर को बड़ी प्रतिमा के साथ घरों में स्थापित छोटी प्रतिमाओं का बाजे-गाजे के साथ विसर्जन किया जाएगा। इस बार विसर्जन शोभायात्रा में अंतर यह होगा कि ढोल-ताशा पार्टी महाराष्ट्र की जगह स्थानीय होगी।
रिपोर्ट-सुबास लाल