सवा सौ दिन में पककर तैयार होने वाले बीज का नाम है केडब्ल्यूआर

शेयर करे

आजमगढ़ (सृष्टिमीडिया)। कृषि विज्ञान केंद्र लैदौरा पर अग्रिम पंक्ति प्रदर्शन दलहन योजनांतर्गत 15 किसानों को 2.5 हेक्टेयर क्षेत्रफल पर बोआई हेतु चने का केडब्ल्यूआर-108 प्रजाति बीज का निःशुल्क वितरण किया गया। बताया गया कि इसकी मुख्य विशेषता 90-120 दिन में पककर तैयार हो जाती है। यह प्रजाति बांझपन, मोजैक एवं उकठा की अवरोधी है। यह पाला के प्रति सहनशील है।
कृषि विज्ञान केंद्र के अध्यक्ष डा. एलसी वर्मा ने बताया कि अच्छी पैदावार प्राप्त करने के लिए पंक्ति से पंक्ति की दूरी 30 सेमी एवं पौध से पौध की दूरी 10 सेमी रखना पर्याप्त होता है। बीज की बोआई लाइन में सीड ड्रिल या सुपर सीडर से करनी चाहिए।
सस्य वैज्ञानिक डा. शेर सिंह ने बताया कि बोआई के 72 घंटे के अंदर प्रीइमरजेंस खरपतवारनाशी दवा पेंडामेथिलिन की मात्रा 3.3 लीटर प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करें। अच्छा उत्पादन प्राप्त करने के लिए बोआई के 30-40 दिन के अंदर चने की खोटाई करने से शाखाओं की संख्या में बढ़ोत्तरी होती है। फसल सुरक्षा वैज्ञानिक डा. एमपी गौतम ने बताया कि यह आधारीय बीज है। बोआई के लिए प्रति हेक्टेयर 60 किलोग्राम बीज का प्रयोग किया जाता है। आधारीय बीज होने के कारण किसान अगले साल इसका प्रयोग बीज के लिए भी कर सकते हैं। बोआई से पूर्व बीज शोधन अवश्य करें, जिसके लिए बाविस्टिन या थीरम की 2.5 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज के लिए पर्याप्त है। उकठा बीमारी को रोकने के लिए 10 ग्राम ट्राइकोडर्मा प्रति किलोग्राम बीज से शोधित करने के उपरांत बुवाई करना चाहिए। बोने से पूर्व मिट्टी की जांच कराकर बीज को राइजोबियम कल्चर से शोधित कर बोआई करें। लाभान्वित होने वाले किसानों में कमलेश सिंह, सूरत सिंह, अशोक यादव, महेंद्र सिंह, बृजेश यादव, डा. आर के सिंह सहित 15 किसानों ने प्रतिभाग किया।
रिपोर्ट-सुबास लाल

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *