सरयू नदी की लौटतीं लहरों में समाने लगी ग्रामीणों की धरोहर

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आजमगढ़ (सृष्टिमीडिया)। साल भर खुशहाल रहने वाले देवारा क्षेत्र के ग्रामीण क्षेत्र में बहने वाली सरयू नदी के जलस्तर में उतार-चढ़ाव से अभी भी बेहाल हैं। खतरा निशान से 90 सेमी नीचे पहुंचे जलस्तर ने डूबने से उबार जरूर है, पर समस्याएं बरकरार हैं। जलस्तर कम होने के साथ झगरहवा, बगहवा, बासू का पूरा और सहबदिया में कटान होने से किसानों की धरोहर कृषि भूमि नदी की धारा में समा रही हैं।
दर्जन भर गांवों के रास्तों पर अभी भी पानी भरा होने से चार स्थानों पर नाव का संचालन किया जा रहा है। कीचड़ और जलजमाव से मच्छरों का प्रकोप बढ़ गया है, लेकिन जिम्मेदारों ने दवाओं के छिड़काव की जरूरत समझी। जलस्तर में लगातार कमी से एक ओर जहां ग्रामीणों ने राहत की सांस ली है, वहीं तीन बैराजों से लगातार पानी छो़ेड़े जाने से चिंता बनी हुई। नदी की प्रकृति ऐसी कि जलस्तर कम होने के बाद कटान तेजी से होने लगती है।
रविवार को भी शनिवार वार की अपेक्षा 28 सेमी की कमी रिकार्ड की गई। मुख्य गेज स्थल बदरहुआ नाले के पास खतरा निशान 71.68 मीटर है, जबकि रविवार को यहां का जलस्तर 70.78 मीटर रहा। शनिवार को 71.06 मीटर रिकार्ड किया गया था।
कई दिनों से जलस्तर में कमी के बाद भी 76वें दिन तीन बैराजों गिरिजा बैराज, शारदा बैराज व सरयू बैराज से फिर 1,29,214 क्यूसेक पानी छोड़े जाने से खतरा बरकरार है। अब तक नदी में कुल 2,07,38,287 क्यूसेक पानी छोड़ा जा चुका है।
जलस्तर में कमी के बाद चार स्थानों पर कटान जारी है, लेकिन उसकी गति अभी मध्यम है। सितंबर महीने के अंत तक जलस्तर में उतार-चढ़ाव के कारण भी ग्रामीणों की चिंता कम होने का नाम नहीं ले रही है।
दूसरी ओर प्रशासन बाढ़ के आसन्न संकट को देखते हुए अलर्ट दिख रहा है। बचाव व राहत कार्य के लिए प्रशासन द्वारा 10 बाढ़ चौकियों की स्थापना के साथ 14 स्थानों को राहत शिविर के लिए चयनित किया जा चुका है।
रिपोर्ट-प्रमोद यादव

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