आजमगढ़ (सृष्टिमीडिया)। शहर के मुख्य चौक स्थित दक्षिणमुखी देवी का मंदिर बारहों महीने श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र बना रहता है। कारण कि यहां भक्तों की आशा ज्योति बारहों महीने जलती रहती है और उनकी झोली कभी खाली नहीं होती।
यहां प्रतिदिन सुबह से ही श्रद्धालुओं की भीड़ होती है, तो फिर शाम से रात तक वहीं स्थिति बनी रहती है। नवरात्र में भीड़ कुछ ज्यादा ही उमड़ती है। जिले से दूर रहने वाले भी मां के दर्शन को यहां पहुंचने का हर संभव प्रयास करते हैं। नवरात्र के मद्देनजर देवी मंदिर को भव्य रूप से सजाया जाता है। यहां मंदिर आकर्षक बनवाया गया है। मंदिर के चारों तरफ परिक्रमा करने का स्थान सुरक्षित है। दक्षिणमुखी देवी हर मनोकामनाएं पूरी करती हैं। मां की महिमा अपरंपार है। यहां हर साल मां का भव्य श्रृंगार होता है। यहां की छटा ही निराली होती है।
दक्षिण मुखी देवी दरबार की स्थापना काल के बारे में तो कोई कुछ बताने की स्थिति में नहीं है, लेकिन कहा जाता है कि सैकड़ों साल पहले यहीं से होकर तमसा नदी बहती थी और वहां पर पुजारी शरद तिवारी के पूर्वज बैठकर तपस्या कर रहे थे। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर मां ने उनको दर्शन दिया था। इसके बाद उन्होंने यहां दक्षिणमुखी देवी की स्थापना की। तबसे अब तक इस परिवार का कोई न कोई मां का पूजन करता चला आ रहा है। दक्षिणमुखी देवी मंदिर दूर-दूर तक प्रसिद्ध है। यहां दर्शन कर श्रद्धालु अपने आप को धन्य समझते हैं। देवी मंदिर की महिमा अपरंपार है। आरती के दौरान घंट-घड़ियाल की ध्वनि सुनने के बाद आस-पास के लोग भी जुट जाते हैं।
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शारदीय नवरात्र में मां के कई भाव देखने को मिलते हैं। मां की ममता का बखान आम आदमी के वश की बात नहीं है। मंदिर को आकर्षक ढंग से सजाया जाएगा तथा सुबह-शाम समय से कपाट खोले जाएंगे। बीच में मंदिर बंद रहेगा। सुबह चार बजे से श्रद्धालुओं का रेला लगना शुरू होता है जो देर रात तक चलता रहता है।
-शरद चंद्र तिवारी, पुजारी।
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हमें तो काफी समय पहले से दक्षिणमुखी देवी की कृपा का अहसास होता है। कारण कि यहां प्रसाद की दुकान लगाने से हर वक्त मां का दर्शन करने का मौका मिलता है। परिवार के लोग भी दरबार में हाजिरी लगाना नहीं भूलते। अगर गर्भगृह बंद भी है, तो चौखट पर ही मत्था टेक लेते हैं। लगता है कि मां का आशीर्वाद हमारे पूरे परिवार को मिल गया है। जबसे मां के दरबार से जुड़ा तबसे कभी कोई संकट नहीं आया।
-राजकुमार सैनी, प्रसाद विक्रेता।
रिपोर्ट-सुबास लाल