नवरात्रि का पहला दिन मां शैलपुत्री को रहेगा समर्पित

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मार्टिनगंज आजमगढ़ (सृष्टिमीडिया)। हिंदू धर्म में नवरात्रि का पर्व बेहद पवित्र माना जाता है। इस बार शारदीय नवरात्रि की शुरुआत 22 सितंबर से हो रही है। इन नौ दिनों में मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की विधि-विधान से पूजा की जाती है। नवरात्रि के पहले दिन मां दुर्गा के प्रथम स्वरूप मां शैलपुत्री की आराधना की जाएगी।
माता शैलपुत्री पर्वतराज हिमालय की पुत्री हैं और वृषभ (बैल) पर सवार रहती हैं। उनके दाहिने हाथ में त्रिशूल और बाएं हाथ में कमल होता है। माता अष्टभुजी मंदिर के पुजारी ज्योतिष के ज्ञाता कर्मकांड विशेषज्ञ पंडित गिरजा प्रसाद पाठक ने बताया कि ऐसी मान्यता है कि मां शैलपुत्री की पूजा करने से जीवन में साहस, पवित्रता की भावना उत्पन्न होती है। साथ ही भक्तों के कष्ट दूर होते हैं और उन पर माता की विशेष कृपा बनी रहती है। पहले दिन की पूजा के दौरान शुभ रंग, भोग, मंत्र और कथा का विशेष महत्व होता है।
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ऐसे करें पूजा

मार्टिनगंज (आजमगढ़)। पंडित गिरजा प्रसाद पाठक ने बताया कि पहली पूजा ब्रह्म मुहूर्त यानी सूर्याेदय से पहले करना अच्छा माना जाता है। स्नान कर साफ और हल्के रंग के कपड़े पहनें। घर के पूजा स्थान को गंगाजल से शुद्ध करें, फिर एक चौकी पर साफ कपड़ा बिछाकर उस पर मां शैलपुत्री की मूर्ति या फोटो स्थापित करें। पूजा की शुरुआत कलश स्थापना से करें। यह नवरात्रि का मुख्य अंग है। परिवार के सभी सदस्य मिलकर विधिपूर्वक कलश रखें। माता का ध्यान करें और मंत्र ‘‘ऊँ देवी शैलपुत्र्यै नमः” का जप करें। इसी समय नवरात्रि व्रत का संकल्प भी लिया जाता है। मां शैलपुत्री की पूजा पारंपरिक षोडशोपचार विधि से करें। इसमें जल, अक्षत, पुष्प, धूप, दीप, गंध और नैवेद्य का अर्पण शामिल है। मां को विशेष रूप से सफेद या पीले फूल अर्पित करें और साथ ही कुमकुम से तिलक लगाकर उनकी पूजा करें। देवी के सामने धूप जलाएं और घी के दीपक प्रज्वलित करें। ऐसी मान्यता है कि पांच दीपक जलाने से घर में सकारात्मक ऊर्जा और शांति आती है।
रिपोर्ट-अद्याप्रसाद तिवारी

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