अतरौलिया आजमगढ़ (सृष्टिमीडिया)। नगर पंचायत अतरौलिया सहित आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों में मोहर्रम का पर्व पूरी परंपरा, श्रद्धा और सौहार्द्र के साथ मनाया गया। हजरत इमाम हुसैन की शहादत की याद में आयोजित यह पावन अवसर शांति और भव्यता का प्रतीक बना रहा। नगर की गलियां ताजियों की सजावट, ढोल-ताशों की गूंज और अंजुमनों द्वारा पढ़े गए नौहे-नात से गुलज़ार रहीं।
धर्म, न्याय और बलिदान का संदेश देने वाला यह पर्व रंग-बिरंगी पन्नियों, थर्माकोल और शीशे से सजे भव्य ताजियों के साथ श्रद्धा व सादगी से मनाया गया। कसाई मोहल्ला, मोमिनपुरा उत्तरी व दक्षिणी, हैदरपुर, बौडरा, देहुला सल्तनत, अतरैठ, कोयलसा और बूढ़नपुर सहित अनेक गांवों में ताजियादारों ने अपने हुनर और भक्ति का अनूठा प्रदर्शन किया।
मासूम बच्चों द्वारा सजाए गए थर्माकोल के ताजिये ने लोगों का ध्यान खींचा, तो वहीं मोमिनपुरा के शैफ, अब्दुल्ला, मुस्ताक अहमद, सद्दाम हुसैन और अजीजुर्रहमान ने शीशे व थर्माकोल से तैयार ताजियों से श्रद्धालुओं का मन मोह लिया। करबला की याद ताजा करने वाले लाठी, तलवार, डंडे और शैफ के पारंपरिक खेलों ने माहौल को भावुक बना दिया। अंजुमनों द्वारा पढ़े गए नौहे और नातों ने श्रद्धालुओं की आंखें नम कर दीं।
इमामी शेरों की गूंज ने माहौल को आध्यात्मिक रंग में रंग दिया। ताजियों को देखने के लिए नगर पंचायत से लेकर हैदरपुर स्थित करबला तक श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी। सांझ होते-होते सभी स्थानों पर ताजियों को विधिपूर्वक कर्बला में दफन किया गया। सम्पूर्ण आयोजन क्षेत्रीय पुलिस प्रशासन, अंजुमनों और नगरवासियों के सहयोग से शांतिपूर्ण और गरिमामय तरीके से सम्पन्न हुआ, जो अतरौलिया की गंगा-जमुनी तहजीब का प्रतीक बन गया।
जोलहा टोला निवासी अब्दुल्ला ने बताया कि ताजिया पूरे नगर का भ्रमण करते हुए हैदरपुर स्थित कब्रिस्तान के कर्बला के मैदान में जा रही है जहां सभी ताजियादारों का मिलन होगा। तत्पश्चात ताजिए को कर्बला में दफन किया जाएगा। ताजिए में भाईचारे का महत्व है जिसे हम सभी लोग मिलकर मनाते हैं।
रिपोर्ट-आशीष निषाद