आजमगढ़ (सृष्टिमीडिया)। शिक्षक दिवस के अवसर पर पंच-दिवसीय शिक्षक पर्व समारोह के अंर्तगत डीएवीपीजी कालेज में बड़े उत्साह के साथ शिक्षक दिवस मनाया गया। महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो. प्रेमचंद्र यादव, प्रो. रामसुन्दर सिंह एवं प्रो. गीता सिंह ने संयुक्त रूप से सर्वपल्ली डॉ राधाकृष्णन के चित्र पर माल्यार्पण संग दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया।
प्राचार्य ने अपने व्याख्यान में कहा कि शिक्षक समाज की नींव होते हैं, जिनके कंधों पर स्वस्थ समाज के निर्माण की पूरी जिम्मेदारी होती है। इतिहास विभाग के प्रोफेसर सौम्य सेनगुप्ता ने एक शिक्षक के रूप में कबीर की महत्ता एवं भूमिका को बुद्धजीवियों के मध्य उपस्थित किया। समाजशास्त्र विभाग के प्रोफेसर राकेश कुमार यादव ने शिक्षा को जीवन-दर्शन का अभिन्न अंग स्थापित करते हुए समाज की नूतन प्रवृत्तियों के साथ शिक्षकों के नवाचार को प्रकाशित किया। हिंदी विभाग के प्रोफेसर विजय कुमार ने गुरु की महत्ता पर अपने विचार रखते हुए गुरु के कर्त्तव्य-दायित्यों पर केंद्रित व्याख्यान रखा और कहा कि शिक्षा के बगैर शिक्षित और सभ्य समाज की कल्पना नहीं की जा सकती है। शिक्षक ही शिष्य को आम से खास बनाता है। हिंदी विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर जितेंद्र ने गुरु की महिमा पर दोहा जग अंधेरी कोठरी, सद्गुरु रोशनदान, ज्ञान-किरण का स्रोत गुरु, करते दूर अज्ञान सुनाकर वाहवाही लूटी। डॉ सुरेन्द्र कुमार यादव एवं सुधांशु ने भी अपने विचार रखे। कार्यक्रम का संचालन सांस्कृतिक परिषद की संयोजक प्रो. गीता सिंह स्नातकोत्तर हिंदी विभाग ने किया। कार्यक्रम के दौरान महाविद्यालय के समस्त अध्यापक उपस्थित रहे।
रिपोर्ट- दीपू खरवार