चंद्रशेखर ने रामचरितमानस व मनुस्मृति को बताया था नफरत फैलाने वाला ग्रंथ
वाराणसी। कुछ दिन पूर्व बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर सिंह द्वारा रामचरित मानस और मनुस्मृति पर दिए गए विवादित बयान का विश्व की धार्मिक व सांस्कृतिक राजधानी काशी के संतों ने घोर आपत्ति जताई है। इसी क्रम में अखिल भारतीय संत समिति और गंगा महासभा के राष्ट्रीय महामंत्री स्वामी जीतेंद्रानंद सरस्वती ने कहा कि चंद्रशेखर बिहार के मजदूरों की देश भर में सप्लाई की सुपारी लेते हैं। 21वीं सदी में जब पूरा भारत देश विकास कर रहा है, तब भी वे चरवाहा विद्यालय खोल रहे हैं। यह काम आप जातियों का बंटवारा करके ही करते हैं। यदि आप शिक्षा देंगे तो आपका यह खेल यहीं रुक जाएगा।
बिहार सरकार पर भी बोला हमला
जीतेंद्रानंद सरस्वती ने कहा कि गोस्वामी तुलसीदास रचित रामचरित मानस और मनुस्मृति पर शिक्षा मंत्री का बयान निंदनीय ही नहीं बल्कि घोर आपत्तिजनक भी है। जीतेंद्रानंद ने कहा कि आज बिहार में शिक्षा की गति बेहद लचर स्थिति में है। लाखों सरकारी पद खाली है। वहां की सरकार उसकी चिंता छोड़कर लोगों को जातिवाद की आग में झोंक रही है। बिहार के राजनीतिक दलों का एक यही काम रह गया है। इससे ज्यादा आप बिहार को कुछ दे भी नहीं पाएंगे। शिक्षा मंत्री को जीतेंद्रानंद ने दो टूक कहा कि यदि एक बार तुलसीदास के रामराज्य की परिकल्पना को पढ़ लेते, आपकी आंखें खुल जाती। तुलसीदास ने कहा था कि चारों वर्ण के लोग एक ही राजघाट पर एक साथ स्नान कर सकते थे। मगर, शिक्षामंत्री का उद्देश्य तो जातिगत मतगणना और देश को बांटने की है। कहा कि यदि शिक्षामंत्री यह नहीं करेंगे, तो फिर पूरे देश में बिहार से मजदूर सप्लाई करने की सुपारी कैसे पूरी होगी?
दीक्षांत समारोह में दिया था विवादित बयान
ज्ञात रहे कि चंद्रशेखर ने बिहार के एक कॉलेज के दीक्षांत समारोह के दौरान मीडिया से कहा था कि रामचरितमानस और मनुस्मृति नफरत फैलाने वाला ग्रंथ हैं। उनके इस बयान का देश में जहाँ काफी विरोध हो रहा है, वहीं संत समाज भी आक्रोश में है।