आजमगढ़ (सृष्टिमीडिया)। अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महसंघ के आह्वान पर महासंघ के बैनर तले प्रधानमंत्री को जिलाधिकारी के माध्यम से ज्ञापन सौंपा गया। हजारों शिक्षकों ने आक्रोश प्रकट करते हुए जमकर नारेबाजी की और सुप्रीम कोर्ट के निर्णय को नितांत एकतरफा और अविवेकपूर्ण बताया।
जिलाध्यक्ष बजरंग बहादुर सिंह ने कहा कि बिना शिक्षकों खासतौर बीस-तीस वर्षों से नियुक्त शिक्षकों की पूर्व सेवा शर्तों को जाने, जिस पर उनकी नियुक्ति हुई है, यह निर्णय सुना दिया गया।
जिला उपाध्यक्ष अमित राय ने कह कि जब पुराने शिक्षक नियुक्त हुए थे उस समय की न्यूनतम योग्यता पूर्ण करने पर ही नियुक्ति मिली परन्तु आज इस निर्णय से वह सदमें में हैं। इसी बीच शिक्षकों के बीच से हार्ट अटैक और डिप्रेशन मंे फांसी तक लगा लेने की खबरें आ रही हैं जो कि नितांत खेदजनक और दुखद है।
महामंत्री अनिल मिश्र ने कहा कि खेल शुरू होने के बाद नियम बदलने या किसी कानून के भूतलक्षी प्रभाव न होने की व्यवस्था है। यह पहला केस है जब किसी कानून के लागू होने की तारीख से पूर्व के समय में भी वह प्रभावी होने की बात सामने आ रही है।
संगठन मंत्री मनोज कुमार सिंह ने कहा कि इस विकट स्थिति में सरकार को नया कानून या अध्यादेश लाकर तुरंत डैमेज कन्ट्रोल करना होगा नहीं तो शिक्षक और शिक्षा दोनों का भारी नुकसान होगा। शिक्षक का मन पढ़ाने की जगह टेट की तरफ लगा होगा जिससे विद्यार्थियों का भी नुकसान होगा।
इस अवसर पर अरविन्द सिंह, ब्रजेश राय, रासबिहारी यादव, अर्पिता सिंह, सुजीत सिंह समेत सभी ब्लॉकों से कार्यकारिणी के सदस्य उपस्थित रहे।
रिपोर्ट-सुबास लाल