भाषा में एकरूपता लाती है मानक हिंदी: प्रो. गीता सिंह

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आजमगढ़ (सृष्टिमीडिया)। भारत सरकार राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय के उप क्षेत्रीय कार्यालय में ‘मानक हिंदी’ विषय पर कार्यशाला आयोजित हुई। शुभारंभ कार्यक्रम अध्यक्ष सहायक निदेशक श्रवण कुमार यादव वरिष्ठ सांख्यिकी अधिकारी, अखिलेश श्रीवास्तव, मुख्य अतिथि प्रो.गीता सिंह अध्यक्ष हिन्दी विभाग डीएवी पीजी कालेज ने मां सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्वलित कर किया।
प्रो. गीता सिंह ने कहा मानक हिंदी, हिन्दी का वह स्वरूप है जिसका शिक्षा, प्रशिक्षण, कार्यालय, साहित्य रचना, वाणिज्य, समाचार आदि कार्यों में प्रयोग किया जाता है। भाषा का क्षेत्र देश, काल और पात्र की दृष्टि से अत्यंत व्यापक एवं विस्तृत है। इसलिए सभी भाषाओं के अनेक रूप मिलते हैं। इस अनेकता में एकता स्थापित करने के लिए मानक हिंदी का प्रयोग किया जाता है। यही मानक भाषा का रूप अंतरराष्ट्रीय सन्दर्भों में व्यवहार में लाया जाता है। मानक हिंदी से तात्पर्य खड़ी बोली से विकसित और नागरी लिपि में लिखी जाने वाली उस भाषा से है जिसे परिनिष्ठित या उच्च हिन्दी भी कहा जाता है।
कार्यशाला में वरिष्ठ सांख्यिकी अधिकारी प्रदीप कुमार, शैलेंद्र सिंह, कनिष्ठ सांख्यिकी अधिकारी अभिषेक गुप्ता, गगन चौरसिया, चंद्र मोहन सिंह, विशाल सिंह आदि उपस्थित रहे, जिनके सवालों का प्रो.गीता सिंह द्वारा उचित उत्तर दिया गया। कार्यशाला की सफलता के लिए अध्यक्ष ने मुख्य अतिथि एवं सभी प्रतिभागियों के प्रति धन्यवाद ज्ञापित किया। संचालन दुर्गेश जायसवाल ने किया।
रिपोर्ट-दीपू खरवार

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