फूलपुर आजमगढ़ (सृष्टिमीडिया)। नवरात्रि के पावन अवसर पर आदर्श रामलीला समिति के तत्वाधान मे श्रीराम लीला का आयोजन किया गया। मंचन से पूर्व मां आदिशक्ति व श्रीराम जी की वैदिक मंत्रोच्चार से पूजन अर्चन किया गया। श्रीराम लीला मंचन में अयोध्या मण्डल से आए कलाकार द्वारा श्रीराम लीला के प्रथम दिवस पर नारद मोह की लीला प्रस्तुत की गई।
एक बार नारद जी तप करने लगे। तपस्या से इंद्र देव का सिंहासन डगमगाने लगा। उन्होंने कामदेव को अप्सराओं के साथ तपस्या भंग करने भेजा। पर कामदेव सफल नहीं हुए जिससे नारद जी को अहंकार हो गया। नारद जी के अहंकार को तोड़ने के लिए भगवान विष्णु ने शीलनगरी का निर्माण किया। और शीलनिधि के पुत्री का स्वयंवर रखा गया। विश्वमोहिनी का रूप देख नारद जी को विवाह की इच्छा जागृत हुई। उन्होंने श्रीहरि विष्णु से एक दिन का हरि रूप मांगा। सुन्दर दिखने की इच्छा प्रकट की। पर विष्णु जी ने उन्हें बन्दर का रूप दे दिया और वह मोहिनी के स्वयंवर में पहुंच गए। विश्वमोहिनी जिधर जाती नारद जी उधर पहुंच जाते। परन्तु श्रीहरि के आने पर वरमाला विश्व मोहिनी ने विष्णु जी के गले में डाल दिया। जब नारद जी ने अपने रूप को देखा तो श्रीहरि को मानव रूप में स्त्री वियोग का श्राप दिया। जिसके कारण प्रभु को मानव जीवन में अवतरित होना पड़ा।
रिपोर्ट-मुन्ना पाण्डेय