आजमगढ़ (सृष्टिमीडिया)। सगड़ी तहसील के देवारा क्षेत्र में बहने वाली सरयू (घाघरा) नदी के जलस्तर में रविवार को भी उफान जारी रही। राहत की बात यह कि रफ्तार काफी मंद रही और 24 घंटे में मात्र नौ सेमी की वृद्धि रिकार्ड की गई। शनिवार को वृद्धि 84 सेमी हुई थी। एक महीने में अब तक छह दिन खतरा निशान के पार हो चुके जलस्तर से ग्रामीणों में चिंता तो पहले से दिख रही है, लेकिन चौंतीसवें दिन भी तीन बैराजों से छोड़े गए 3,14,616 क्यूसेक पानी ने चिंता को बढ़ा दी है। रविवार को नदी खतरा निशान से 71 सेमी ऊपर बह रही थी, जबकि शनिवार को 62 सेमी ऊपर थी।
दर्जन भर गांवों के रास्ते अभी बाढ़ के पानी में डूबे हैं और ग्रामीणों के आवागमन के लिए चार स्थानों पर नाव का संचालन किया जा रहा है। प्राइमरी पाठशाला बगहवा में पानी घुसने के बाद शनिवार को ही बच्चों के लिए अवकाश घोषित किया जा चुका है। जलस्तर दूसरी बार 72 मीटर के पार पहुंच चुका, तो तीसरे दिन रविवार को भी उससे नीचे नहीं गया।
देवारा खास राजा, शाहडीह, बूढ़नपट्टी, भदौरा, मानिकपुर, अभ्भनपट्टी, अजगरा मगरबी आदि दर्जन भर गांवों के रास्ते पानी में डूब गए हैं। प्राथमिक विद्यालय बगहवा परिसर में बाढ़ का पानी घुसने के बाद विभाग ने बच्चों के लिए अवकाश घोषित कर दिया है, जबकि शिक्षकों को हाजिर रहना होगा।
हालात को देखते हुए प्रशासन ने चक्की हाजीपुर, बांका, सोनौरा व मानिकपुर में नाव का संचालन शुरू करा दिया है। पूर्व की घटना को ध्यान में रख सभी नावों पर नाविक के साथ होमगार्ड के एक जवान को भी तैनात किया गया है। एसडीएम नरेंद्र कुमार गंगवार व तहसीलदार विवेकानंद दुबे ने बाढ़ क्षेत्र का दौरा कर हालात का जायजा लिया और सभी राजस्व निरीक्षक व लेखपालों को क्षेत्र में बने रहकर हर पल की जानकारी देने का निर्देश दिया।
शनिवार की शाम चार बजे खतरा निशान 71.68 मीटर से 62 सेमी ऊपर 72.30 मीटर रिकार्ड किया गया था, जो नौ सेमी बढ़कर रविवार को 72.39 पर पहुंच गया था। जलस्तर बढ़ने के कारण अभी झगरहवा और बगहवा में कटान थम गई है। इस बीच आठ जुलाई से पानी छोड़ने का क्रम चौंतीसवें दिन भी बना रहा और गिरजा, शारदा व सरयू बैराजों से छोड़े गए 3,14,616 क्यूसेक पानी नेे बाढ़ के संकट को और भी गहरा कर दिया है। इस प्रकार अब तक 94,17,746 क्यूसेक पानी छोड़ा जा चुका है। बीच में 25 जुलाई को पानी नहीं छोड़ा गया था।
जलस्तर में तीन महीने उतार-चढ़ाव के कारण फिलहाल प्रशासन पहले से अलर्ट था, लेकिन पहली बार 72 मीटर से ऊपर जलस्तर पहुंचने से ज्यादा सतर्क हो गया है। तहसील प्रशासन से लेकर बाढ़ खंड विभाग स्थिति पर लगातार नजर रख रहा है। बचाव व राहत कार्य के लिए 10 बाढ़ चौकियों की स्थापना के साथ 14 स्थानों को राहत शिविर के लिए चयनित किया जा चुका है। हालांकि नदी की प्रकृति के अनुसार पानी बढ़ने के कारण कटान तो बंद है, लेकिन आसपास के लोगों की बेचौनी कम नहीं हुई है।
रिपोर्ट-सुबास लाल